Tahir Hussain Interview: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार अभियान जोरों पर है। इसी बीच 2020 दिल्ली दंगों के आरोपी और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने बुधवार को मुस्तफाबाद में अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। ताहिर हुसैन AIMIM के टिकट पर मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनको अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए छह दिन की कस्टडी पैरोल दी है। ताहिर हुसैन ने इस दौरान चुनाव अभियान और AAP ने जेल जाने के बाद उन्हें कैसे नजरअंदाज किया। इन तमाम मुद्दों पर बात की।
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको चुनाव प्रचार में कोई परेशानी आ रही है? समय और धन की कमी एक समस्या है? इस सवाल के जवाब में ताहिर हुसैन ने कहा कि मैं सुबह करीब 9.30 बजे यहां (मुस्तफाबाद) पहुंचा। मैंने तुरंत घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया। मैं सिर्फ तीन दिन के लिए जेल से बाहर आया हूं, लेकिन ऐसा नहीं है कि मेरे पास प्रचार के लिए सिर्फ तीन दिन हैं। मेरा परिवार और समर्थक पिछले छह महीनों से हर घर जा रहे हैं – तब भी जब मुझे AIMIM उम्मीदवार नहीं बनाया गया था। वास्तव में, हमारे (उनके और उनकी पत्नी के) पोस्टर (उन्हें उम्मीदवार के रूप में दिखाते हुए) सबसे पहले सार्वजनिक हुए थे। तब मैंने सोचा था कि शायद AAP सहानुभूति दिखाएगी और मेरी पत्नी को टिकट देगी, जैसा कि उन्होंने (विधायक) नरेश बाल्यान के साथ किया है, जिनके खिलाफ MCOCA का मामला चल रहा है (उनकी पत्नी पूजा बाल्यान AAP उम्मीदवार के रूप में विकासपुरी से चुनाव लड़ रही हैं)… लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वास्तव में, AAP ने मुझे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
उन्होंने कहा कि मैं 30 साल की कड़ी मेहनत पर भरोसा करता हूं। मैं यहीं पला-बढ़ा हूं, यहीं शादी की और यहीं बच्चे हुए। मैं अपने लोगों से प्यार करता हूं और उनके दिलों पर राज करता हूं… मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि चुनाव प्रचार के दौरान हमें किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
आप किन मुद्दों के लिए लड़ रहे हैं? इस सवाल के जवाब में ताहिर हुसैन कहते हैं कि मुझे लगा था कि चूंकि इस क्षेत्र में AAP का विधायक है, इसलिए कुछ काम हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। स्कूल, अस्पताल और सड़कें नहीं बनीं। यहां तक कि ड्रेनेज और सफाई भी बड़े मुद्दे हैं। कोई काम नहीं हुआ। यहां तक कि AAP को भी इस बार अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा (AAP ने मौजूदा विधायक हाजी यूनुस की जगह आदिल अहमद खान को उतारा था)। ताहिर हुसैन ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे सिर्फ़ केजरीवाल के नाम पर भरोसा करते हैं। पिछले 10 सालों से केजरीवाल ने हमें अपना चेहरा तक नहीं दिखाया है। इस बार जनता उनके झांसे में नहीं आएगी। यहां बहुत काम करना है।
क्या आप विचारधारा और सिद्धांतों के मामले में AAP और भाजपा के बीच कोई समानता पाते हैं? इस सवाल के जवाब में मुस्तफाबाद से AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का जन्म एक आंदोलन से हुआ। अन्ना (हजारे) आंदोलन के दौरान हर कोई सड़कों पर था, क्योंकि वे यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार से तंग आ चुके थे। इस आंदोलन से सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को हुआ। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हुए… वे मेहनती और ईमानदार थे। लेकिन उन्हें बाहर निकाल दिया गया, क्योंकि वे कहते थे कि आम आदमी पार्टी अलोकतांत्रिक होती जा रही है। एक व्यक्ति को एक पद मिलना चाहिए – इस तरह से उन्हें लगता था कि लोकतंत्र कायम रहेगा। मैं उनसे सहमत हूं। क्या आज आम आदमी पार्टी में ऐसा हो रहा है? यह एक ऐसी पार्टी है जहां कई लोगों को कई पद मिल रहे हैं।
दूसरा, दिल्ली के मुसलमानों को लगा कि AAP भाजपा को रोकने में सक्षम है। यही कारण था कि AAP ने 2015 और 2020 के चुनावों में इतनी सीटें जीतीं। लेकिन अब क्या हो गया है कि उन्हें (केजरीवाल को) अचानक पुजारी और ग्रंथी याद आ रहे हैं। केजरीवाल की मोहब्बत और भाईचारे का क्या हुआ? AAP ने भी भाजपा की तरह ही काम करना शुरू कर दिया है। वे भी हिंदुत्व की राजनीति करते हैं… वे RSS की विचारधारा का पालन करने लगे हैं। यह लोगों को देखना है।
कांग्रेस ने गठबंधन के बाद भी AAP के साथ कर दिया ‘खेल’? पंजाब के मंत्री ने लगाए गंभीर आरोप
AIMIM ही क्यों? ऐसी पार्टी क्यों नहीं चुनी जिसका दिल्ली में मजबूत आधार हो? इस सवाल पर ताहिर हुसैन कहते हैं कि मैंने छह महीने पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ूंगा। सभी पार्टियों को यह बात पता थी… सभी ने कुछ दिन पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। उनमें से किसी ने भी मुझसे संपर्क नहीं किया। आप और कांग्रेस कर सकते थे… लेकिन उन्हें डर था कि भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बना देगी। ये तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हमेशा मुसलमानों को वोट के लिए इस्तेमाल करती हैं, लेकिन जब उनके मुद्दों के लिए लड़ने की बात आती है, तो वे सभी पीछे हट जाती हैं।
ताहिर हुसैन आगे कहते हैं कि मैं (AIMIM प्रमुख असदुद्दीन) ओवैसी का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे मौका दिया। मैं उनका दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। वे एक अनुभवी राजनेता हैं। जिन पार्टियों के साथ मैंने समय बिताया, जिनके साथ मैंने खाना खाया और जिनके लिए प्रचार किया, उन्होंने मुझे छोड़ दिया, लेकिन एक अनजान व्यक्ति ने मुझ पर भरोसा दिखाया। उसने मुझे गले लगाया और पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ाया।
यह भी पढ़ें-
कल से बजट सेशन, मोदी सरकार के सामने जितनी चुनौतियां, विपक्ष तलाश रहा उतने ही अवसर
(इंडियन एक्सप्रेस के लिए निर्भय ठाकुर की रिपोर्ट)