दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। 2015 में AAP ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटें जीती थीं और उसके बाद 2020 में 62 सीटों पर जीत हासिल की। 2015 और 2020 के बीच उसने पांच कम सीटें जीतीं। हालांकि दोनों चुनाव के बीच पार्टी ने 61 विधासनभा सीटों पर दोबारा जीत हासिल की। जबकि एक नई सीट पर जीत हासिल की थी।

AAP के वोट शेयर में आई गिरावट

हालांकि अहम बात यह है कि इन 61 सीटों में से अधिकांश पर AAP ने अपनी जीत का अंतर और वोट शेयर में गिरावट देखी। 32 सीटों पर इसका वोट शेयर गिरा। वहीं 42 सीटों पर जीत का मार्जिन गिरा। इनमें से लगभग सभी सीटों पर बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। उत्तर पश्चिम दिल्ली जिले में सबसे अधिक 8 सीटें थीं, जहां AAP का वोट शेयर गिरा। इसके बाद दक्षिण और पश्चिम दिल्ली जिलों में छह-छह सीटों पर वोट शेयर गिरा।

14 सीटों पर AAP के वोट शेयर में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। उत्तर पश्चिम दिल्ली के किराड़ी सीट पर 11.89 प्रतिशत वोट शेयर पर सबसे बड़ी गिरावट आई। 2020 में जिन 32 सीटों पर AAP का वोट शेयर गिरा, उनमें से भाजपा ने 29 सीटों पर और कांग्रेस ने पांच सीटों पर अपना वोट शेयर बढ़ाया। इनमें से 10 सीटों पर भाजपा के वोट शेयर में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जिसमें उत्तर पश्चिम और दक्षिण दिल्ली जिलों की तीन-तीन सीटें शामिल हैं। वहीं 23 सीटों पर 5 प्रतिशत वोट शेयर बढ़ा, जिनमें उत्तर पश्चिम दिल्ली की आठ सीटें शामिल हैं। बीजेपी ने पटपड़गंज (13.95% वोट शेयर), किराड़ी (13.35% वोट शेयर), विकासपुरी (12.52% वोट शेयर), तुगलकाबाद (12.07% वोट शेयर) और आदर्श नगर (12.02% वोट शेयर) में वोट शेयर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की। संयोग से AAP ने इस बार अपने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज सीट से जंगपुरा भेज दिया।

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बीजेपी ने 62 सीटों पर की वोट शेयर में वृद्धि

कुल मिलाकर 2015 से 2020 तक भाजपा ने 62 सीटों पर अपने वोट शेयर में वृद्धि देखी, जिसमें 18 सीटों पर 10 प्रतिशत से वृद्धि शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने दो विधानसभा चुनावों के बीच 60 सीटों पर अपने वोट शेयर में गिरावट देखी।

2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उन सभी 67 विधानसभा सीटों में अपना वोट शेयर बढ़ाने में सक्षम रही, जहां उसने 2020 के विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी। 54 विधानसभा क्षेत्रों में 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में भाजपा का वोट शेयर 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया। जीत के अंतर के मामले में भी AAP ने 2015 से 2020 तक 42 सीटों पर गिरावट दर्ज की। पार्टी का औसत अंतर लगभग 28,700 वोटों से गिरकर 22,000 से अधिक वोटों पर आ गया। एक सीट को छोड़कर सभी सीटों पर जहां आप का मार्जिन कम हुआ वहीं भाजपा ने अपने वोट शेयर में वृद्धि दर्ज की।

24 सीटों पर आप का अंतर 10,000 से अधिक वोटों से गिर गया। उत्तर पश्चिम दिल्ली जिले में ऐसी सात सीटें थीं, और पश्चिम और दक्षिण दिल्ली जिलों में पांच-पांच सीटें थीं। छह सीटों (बिजवासन, आदर्श नगर, कस्तूरबा नगर, पटपड़गंज, शालीमार बाग और छतरपुर) में AAP की गिरावट 5,000 वोटों से नीचे था। मार्जिन में सबसे बड़ी गिरावट किराड़ी में आई, जहां AAP ने 2015 में 45,000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी जबकि 2020 में यह घटकर 5,650 हो गया।

AAP को थोड़ी राहत

आप को इस बात से राहत मिलेगी कि 19 सीटों पर उसका मार्जिन बढ़ा है, जिसमें चार सीटों पर 10,000 से अधिक वोट शामिल हैं। पार्टी का वोट शेयर भी 29 सीटों पर बढ़ा, जिसमें सात सीटों पर 5 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर शामिल हैं।

पार्टियां क्या उम्मीद कर रही हैं?

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी को उम्मीद है कि राजधानी की 70 विधानसभा सीटों में से लगभग 28 पर उसका वोट शेयर बढ़ेगा। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नई दिल्ली जैसी सीटें जीतने के लिए बहुत आश्वस्त थी। कालकाजी, सीमापुरी, समयपुर बादली, पटपड़गंज और कस्तूरबा नगर में भी उसे काफी उम्मीदें हैं। हालांकि 2020 में पार्टी ने कस्तूरबा नगर को छोड़कर इनमें से हरेक सीट पर अपने वोट शेयर में गिरावट देखी।

जिन सीटों पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी को अच्छे वोट शेयर की उम्मीद है, वे मटिया महल, ओखला, जंगपुरा, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, नांगलोई जाट, सुल्तानपुर माजरा और बवाना है। लेकिन 2015 से 2019 तक इन सभी सीटों पर पार्टी का वोट शेयर कम हो गया। इसमें मुस्तफाबाद में 28.8% और मटिया महल में 22.9% तक की गिरावट आई।

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कई सीटों पर बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी

नई दिल्ली के जंगपुरा में जहां कांग्रेस का मुकाबला आप के मनीष सिसोदिया से है, वहीं नई दिल्ली से आप के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल भी लड़ रहे हैं। इनके अलावा कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि बल्लीमारान, चांदनी चौक, सदर बाजार, त्रिलोकपुरी, कोंडली, बिजवासन, मंगोलपुरी, उत्तम नगर, वजीरपुर, आदर्श नगर और जैसी सीटों पर संतोषजनक वोट शेयर हासिल हो सकता है।

बीजेपी के एक नेता ने कहा, “इन विधानसभा सीटों के मतदाताओं ने लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के आधार पर भाजपा को वोट दिया था, जो कुछ महीने पहले ही हुए थे। (मोदी) उसी गति के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का मुख्य चेहरा बने हुए हैं। प्रधानमंत्री की स्वयं की गारंटी के रूप में नई योजनाओं के साथ-साथ यह आश्वासन कि दिल्ली में चल रही कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी, हमें पूरा विश्वास है कि वही मतदाता जिन्होंने कुछ महीने पहले भाजपा को चुना था, वे फिर से चुनेंगे।”

लोकसभा में अजेय बीजेपी

पिछले साल उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने 10 विधानसभा क्षेत्रों में से तीन में 60% से अधिक वोट शेयर हासिल किया था और नौ सीटों में 50% से अधिक वोट शेयर हासिल किया था। पश्चिमी दिल्ली की लोकसभा सीटों पर भाजपा को 10 विधानसभा क्षेत्रों में से आठ में 50% से अधिक वोट शेयर मिला। चांदनी चौक में पांच सीटों में पार्टी का वोट शेयर 60% से अधिक हो गया। दक्षिणी दिल्ली सीट पर छह सीटों में इसका वोट शेयर 50% से ऊपर था।

बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि भाजपा दिल्ली की 45 से अधिक सीटों पर 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में सबसे अधिक वोट शेयर हासिल करेगी या इसमें वृद्धि दर्ज करेगी।” वहीं आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मेरे अनुमान के अनुसार आप को 55 सीटें मिलने जा रही हैं। लेकिन अगर महिलाएं बहुत प्रयास करती हैं तो 60 से अधिक सीटें मिल सकती हैं।”

आप सूत्रों के मुताबिक पार्टी का जोर नई दिल्ली, जंगपुरा, कालकाजी और ग्रेटर कैलाश जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर है। आप के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “केजरीवाल फैक्टर के अलावा हमने उन सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है जहां हमें अपने मौजूदा विधायकों की सत्ता विरोधी लहर महसूस हुई, जिनकी जगह अधिक लोकप्रिय उम्मीदवारों ने ले ली।”