राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आठ फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत की तैयारी के लिए भाजपा और प्रदेश की सत्ता पर काबिज आप जोर-शोर से जुटी हैं। चुनाव में तीसरा प्रमुख दल यानी कांग्रेस इस मामले में खासा पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि व्यक्तिगत उम्मीदवारों ने अपने चुनाव कार्यालय खोले हैं और डोर-टू-डोर प्रचार शुरू किया है, मगर एकीकृत रूप में कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा जमीनी स्तर पर पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करता हुआ नजर नहीं आया।

साल 2013 से पहले 15 साल तक प्रदेश की सत्ता में काबिज रही कांग्रेस को बाद के चुनाव में खासी मुश्किलों को सामना करना पड़ा है। पार्टी भाजपा-आप के मुकाबले मजबूती स्थिति में नजर नहीं आती है। इसके उलट आप और भाजपा के बीच दिल्ली की 70 सीटों के लिए सीधी लड़ाई दिखाई दे रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक साल 2015 में बुरी तरह हारने और एक भी सीट नहीं जीतने वाली कांग्रेस का प्रमुख वोट बैंक अल्पसंख्यक, दलित, झुग्गी-झोपड़ी, अनधिकृत और पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाले लोग आप की तरफ आकर्षित हो गया। अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि कांग्रेस को अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों से लोगों को फिर से पार्टी के लिए वोट देने के लिए मनाने के लिए एक मजबूत कोशिश करने की जरुरत है।

एक कांग्रेस के उम्मीदवार ने कहा, ‘भाजपा और आप के पदाधिकारी लगातार जनसभाएं और रोड शो कर रहे हैं। मतदान के लिए बहुत कम समय बचा है और हमें एक बड़े हिस्से को कवर करना होगा।’ नाम ना छापने की शर्त पर उम्मीदवार ने आगे कहा कि उन्होंने एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा या कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एक रोड शो या एक बड़ी रैली के लिए पहले से ही अनुरोध किया था।

हालांकि एआईसीसी के महासचिव पीसी चाको कहते हैं कि सभी वरिष्ठ पदाधिकारी जल्द ही सभाओं को संबोधित करेंगे और रोड शो में भाग लेंगे। चाको ने कहा कि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस का अभियान फरवरी के पहले सप्ताह में ‘टॉप गियर’ में होगा। उन्होंने कहा, ‘संसाधनों की कमी और समन्वय के कारण कुछ प्रारंभिक परेशानियां थीं। हमारे सभी उम्मीदवारों ने अब अपने कार्यालय खोले हैं और डोर-टू-डोर प्रचार शुरू कर दिया है। आप जल्द ही हमारे केंद्रीय नेतृत्व को दिल्ली में भी प्रचार करते हुए देखेंगे।’