Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव की सरगर्मी काफी ज्यादा बढ़ चुकी है, इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच में देखने को मिल रहा है। कांग्रेस भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक उसके बड़े नेता जमीन पर उतने सक्रिय नहीं हुए हैं। अब दिल्ली का चुनाव क्योंकि अपने अंतिम चरण में आ चुका है, यह समझना जरूरी हो जाता है कि आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस किस रणनीति पर काम कर रही हैं और उस रणनीति का चुनावी नतीजे पर कितना असर पड़ सकता है।
SSP और M फैक्टर का क्या मतलब है?
इस बार के दिल्ली चुनाव में दो मॉडल प्रमुखता से सामने आए हैं- आम आदमी पार्टी का मॉडल है SSP और बीजेपी का मॉडल है M फैक्टर। यहां पर SSP मॉडल का मतलब है Shiksha, Swastha, Paani। वहीं भाजपा के लिए M फैक्टर से मतलब है Modi फैक्टर।
आम आदमी पार्टी की क्या रणनीति है?
अब यहां पर समझने की जरूरत है कि आम आदमी पार्टी ने जब से अपनी राजनीति शुरू की है, उसका ज्यादा फोकस स्वास्थ्य, शिक्षा और दूसरी बुनियादी समस्याओं पर रहा है। पार्टी का तर्क रहता है कि देश की दूसरी पार्टियों ने कभी भी लोगों के मुद्दों पर कोई बात नहीं की, उनकी तरफ से सिर्फ इस देश को जाति धर्म के आधार पर बांटा गया। लेकिन आम आदमी पार्टी जनता की पार्टी है जो बुनियादी समस्याओं को हल करने में विश्वास रखती है। अब एक बार फिर इसी नेरेटिव पर आम आदमी पार्टी आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है।
केजरीवाल की गारंटी चुनाव में जीत की गारंटी?
इसी वजह से आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में ऐलान कर दिया है कि उन दलित बच्चों को स्कॉलरशिप मिलेगी जो विदेश में पढ़ना चाहेंगे, इसी तरह दिल्ली मेट्रों में छात्रों को 50 फीसदी तक छूट मिलेगी। स्वास्थ्य की बात करें तो आप ने संजीवनी योजना का जिक्र कर दिया है, बुजुर्गों के लिए मुफ्त इलाज की बात कही है। पानी को लेकर भी केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि जितने भी गलत बिल आए हैं, उन सभी को माफ कर दिया जाएगा। 24 घंटे पानी की सप्लाई का वादा भी आम आदमी पार्टी ने ही किया है।
2020 वाले रास्ते पर चल रहे केजरीवाल
अब इन ऐलानों को डीकोड करना जरूरी है क्योंकि दिल्ली के मिडिल क्लास वोटरों को यही लुभाते हैं, पिछड़े वर्ग में भी इन्हीं मांगों को लेकर जरूरत दिख जाती है, महिलाएं भी साफ पानी जैसे मुद्दों पर ज्यादा वोट करती दिखती हैं। इसी वजह से माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी SSP फैक्टर के जरिए फिर सत्ता पर काबिज होना चाहती है। यह नहीं भूलना चाहिए कि 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी आम आदमी पार्टी इस एक्सपेरिमेंट में सफल रही थी। उस चुनाव में भी बीजेपी तो राष्ट्रीय मुद्दे उठाती रही, लेकिन केजरीवाल ने सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया, उनकी तरफ से तो इसी SSP मॉडल पर फोकस रहा और नतीजा उनके पक्ष में प्रचंड जनादेश आया।
TINA फैक्टर भी केजरीवाल के साथ
अब अरविंद केजरीवाल के साथ एक और फैक्टर मजबूती के साथ काम कर रहा है। इस फैक्टर को हम TINA फैक्टर कह सकते हैं। TINA का मतलब होता है- THERE IS NO ALTERNATIVE। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दिखाने की कोशिश कर रही है कि उनके पास तो केजरीवाल जैसा बड़ा चेहरा है, लेकिन बीजेपी किसी भी सीएम उम्मीदवार को नहीं उतार पाई है। अब क्योंकि आम आदमी पार्टी का नेरेटिव इतना तगड़ा चल रहा है, इसी वजह से बीजेपी को भी अपनी रणनीति पर काम करना पड़ रहा है।
बीजेपी के लिए M फैक्टर जरूरी या मजबूरी?
इस दिल्ली चुनाव में बीजेपी M फैक्टर पर काम कर रही है। बीजेपी के लिए एम फैक्टर मतलब है मोदी फैक्टर। यह बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत भी है और कमजोरी भी। ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ही बीजेपी का सबसे विश्वनीय चेहरा है, इसके ऊपर पीएम मोदी की जैसी राजनीति है उसके दम पर कई मौकों पर हारी हुई बाजी पलटी गई है। बात चाहे महाराष्ट्र चुनाव की हो, लोकसभा चुनाव की हो या फिर 2017 के गुजरात चुनाव की, मोदी मैजिक ने बीजेपी की कई मौकों पर नैया पार लगाई है। इसी वजह से बीजेपी फिर पीएम मोदी को आगे कर ही यह चुनाव लड़ना चाहती है।
M फैक्टर से बीजेपी को कैसे होता है फायदा?
जिस तरह से अरविंद केजरीवाल खुद को कट्टर ईमानदार बताकर वोट लेते हैं, पिछले 10 सालों में पीएम मोदी की निजी छवि को भी कोई दाग नहीं लगा है, ऐसे में वे भी इसी पिच पर पूरी मजबूती के साथ खेलते हैं, बल्कि कई मौकों पर तो काफी अग्रेसिव भी दिखाई देते हैं। उनका यही अंदाज बीजेपी इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भुनाना चाहती है। यहां पर एक समझने वाली बात यह भी है कि बीजेपी पीएम मोदी को आगे इसलिए करती है क्योंकि उनको पार्टी के अंदर कोई चुनौती नहीं मिलती, उनके आगे आने से किसी तरह की अंदरूनी लड़ाई नहीं छिड़ती। वहीं अगर बीजेपी दिल्ली में कोई सीएम फेस घोषित कर देती है तो उस स्थिति में पार्टी के अंदर ही कई गुट पैदा हो जाते हैं।
ऐसे में पीएम मोदी एक सुरक्षित चेहरा रहते हैं जो जीत की गारंटी भी देते हैं और पार्टी को एकजुट भी रखते हैं। इसी वजह से इस दिल्ली चुनाव में बीजेपी पूरी तरह एम फैक्टर पर निर्भर है। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि दिल्ली की जनता को आम आदमी पार्टी का SSP मॉडल पसंद आता है या फिर उन्हें बीजेपी का M फैक्टर ज्यादा रास आता है।