Delhi Election 2020: भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ‘शाहीन बाग’ मुद्दे को लेकर काफी आक्रमक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी शाहीन बाग की रट लगा रहे हैं। हर रैली में इसे लेकर सुर तेज हो रहा है। इस मुद्दे पर भाजपा को कितना फायदा होगा ये तो नतीजे आने के बाद ही पता चलेंगे लेकिन एक बात गौर करने लायक है कि आखिर शाहीन बाग ने चुनावी परिदृश्य को कैसे बदल दिया।

एक बात और इस चुनाव अभियान के दौरान देखने को मिल रही है कि पार्टी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रख रहे हैं। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांग रही है लेकिन मौजूदा हालात और पिछले कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को देखें तो पार्टी को ऐसा करने से सफलता मिलेगी, इसकी कम ही संभावना दिखती है।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती और बेरोजगारी से निपटने के लिए केंद्र की विफलता पर आलोचना के बावजूद मोदी की शहर में लोकप्रियता और स्वीकार्यता बरकरार है। मतदाताओं ने ‘राम मंदिर से लेकर धारा 370’ के लिए प्रधान मंत्री की “साहसिक कदम” के लिए प्रशंसा की लेकिन जब राज्य के लिए सरकार चुनने की बात आती है तो स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय से बड़ी चिंता का विषय होते हैं।

दिल्ली के तुगलकाबाद में रहने वाले एक व्यक्ति अमित कुमार डे कहते हैं, “मोदी जी केंद्र में हैं। हमने देश की रक्षा के लिए उन्हें अधिक मतों से फिर से निर्वाचित किया। लेकिन हमें अरविंद केजरीवाल को उस काम के लिए चुनना होगा जो उन्होंने दिल्ली के लिए किया है।” भाजपा के एक पारंपरिक वोटर परविंदर वर्मा ने कहा, “जब राष्ट्र की बात आती है, तो यह मोदी जी की है। लेकिन यह राज्य का चुनाव है। अगर हम भाजपा को वोट देते हैं, तो भी मोदी जी दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं।”

अमित डे एक फैक्ट्री में काम करते हैं। उन्होंने केजरीवाल सरकार की सरकारी स्कूलों में शुरू की गई सुविधाओं के लिए प्रशंसा की। उन्हें लगता है कि दिल्ली के सरकारी स्कूल भी प्राइवेट स्कूलों की तरह हो गए हैं। जोगिंदर एक ड्राइवर हैं। वे भी स्थानीय स्तर पर किए गए काम के लिए केजरीवाल सरकार की सराहना करते हैं। वे कहते हैं, “उनके स्थानीय आप विधायक राम पहलवान अपने मतदाताओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।”

इस तरह की जमीनी प्रतिक्रिया के बाद बीजेपी ने ‘शाहीन बाग’ पर अपना अभियान केंद्रित किया। आमतौर पर कोई पार्टी वर्तमान सरकार की नाकामियों को उजागर करती है, लेकिन भाजपा को यह महसूस हुआ कि ऐसा कर वह उसके वोटरों को अपने पक्ष में नहीं कर पाएगी। इसके बाद नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक अपनी चुनावी रैलियों में शाहीन बाग की चर्चा करने लगे।

शाहीन बाग धरने को लेकर आम लोग भी अब उबने लगे हैं। लोगों को कहना है कि यह प्रदर्शन गैर-जरूरी है और इसका कोई मतलब नहीं है। कुछ भाजपा के उस दावे का भी समर्थन करते हैं कि जिसमें कहा गया है कि शाहीन बाग के पीछे आप का हाथ है। आजाद नाम के एक व्यक्ति कहते हैं कि यदि कोई आपके घर के सामने धरना देगा या रास्ते को जाम कर देगा तो क्या आप उसे बढ़ावा देंगे?” स्थानीय लोग कहते हैं कि 50 दिनों से ज्यादा समय से चल रहे इस धरने से उनकी मानसिक शांति छीन ली है। इससे उनकी आय और जीवन पर भी प्रभाव पड़ा है।