National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य को नोटिस जारी करने से फिलहाल इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 2 मई को तय की है।

कोर्ट ने ईडी से और अधिक प्रासंगिक दस्तावेज लाने और खामियों को दूर करने को कहा है। ईडी ने तर्क दिया कि नए कानूनी प्रावधानों के तहत आरोपी को सुने बिना शिकायत (आरोप पत्र) पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता।

ईडी ने कोर्ट से अपील की करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते कि यह आदेश लंबा खिंचे। नोटिस जारी किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अदालत को पहले इस तरह के नोटिस जारी करने की आवश्यकता के बारे में आश्वस्त होना चाहिए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि मैं संतुष्ट होने तक ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकता।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण किया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया। साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है।

नेशनल हेराल्ड की स्थापना जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1938 में की थी। एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका मतलब ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज (दोनों अब दिवंगत) के पास थी।

यंग इंडियन को मिला AJL का स्वामित्व

इसके बाद AJL के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडियन’ को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर मिले। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी ‘यंग इंडियन’ को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।

यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) की शुरुआत साल 2010 में हुई। राहुल गांधी उस समय कांग्रेस महासचिव थे और वही इस कंपनी के डायरेक्टर भी बने। इस कंपनी की स्थापना पांच लाख रुपये से की गई थी। इस कंपनी के 38 फीसदी शेयर राहुल गांधी के पास, 38 फीसदी शेयर उनकी मां सोनिया गांधी के पास थे। बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के पास थे।

ED ने लगाए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

ईडी का दावा है कि एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को वाईआईएल के जरिए कब्जे में लिया गया है। एजेंसी का यह भी आरोप है कि इसमें 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई है। जांच में यह बात सामने निकलकर आई है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के पास दिल्ली, मुंबई और लखनऊ सहित भारत के कई शहरों में 661.69 करोड़ की अचल संपत्तियां हैं और इन्हें आपराधिक आय के जरिए हासिल किया गया था। यंग इंडियन (वाईआई) के पास एजेएल में इक्विटी शेयरों के रूप में कुल 90.21 करोड़ रुपये की अपराध आय होने का पता चला है।

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साल 2021 में शुरू हुई जांच भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व ने YIL के माध्यम से AJL की संपत्ति मात्र 50 लाख रुपये में हासिल की है। जांच के दौरान, ईडी ने दावा किया कि उन्हें फर्जी दान, अग्रिम किराया और एड रेवन्यू में बढ़ोतरी समेत अन्य वित्तीय अनियमितताएं दिखाने वाले दस्तावेज मिले हैं।

अप्रैल 2022 में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपना बयान दर्ज कराने के लिए ईडी दफ्तर पहुंचे थे। इसके बाद ईडी ने कांग्रेस नेता पवन बंसल का बयान भी दर्ज किया था। कांग्रेस पार्टी लगातार ईडी की ओर से लगाए गए आरोपों को नकारती रही है और पार्टी का कहना है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करते केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छिपा रही है। साथ ही कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई की जा रही है।

कांग्रेस ने बचाव में दिए ये तर्क

कांग्रेस का तर्क है कि साल 1937 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी, एसोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को लगभग 10 साल के लिए और करीब 100 किस्तों में चेक से अपनी देनदारी के भुगतान के लिए 90 करोड़ की राशि दी गई थी। इसमें से 67 करोड़ की राशि का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों के भुगतान के लिए किया और बाकी पैसा बिजली बिल, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया। किसी राजनीतिक दल की ओर से कर्ज देना अपराध नहीं है और न ही इसे गैरकानूनी माना जाता है।

दूसरा तर्क कांग्रेस का यह है कि नेशनल हेराल्ड अखबार आय के अभाव में यह कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था, इसके एवज में AJL के शेयर यंग इंडियन को दिए गए, जो कि कानून में एक नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है। यंग इंडियन की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य, सोनिया गांधी, राहुल गांधी हैं, जो किसी तरह का मुनाफा, डिवीडेंड, सैलरी या कोई वित्तीय फायदा नहीं ले सकते। यही नहीं, मैनेजिंग कमेटी यंग इंडियन के शेयर को भी नहीं बेच सकती। इसका मतलब, यंग इंडियन से एक पैसे का न वित्तीय लाभ लिया जा सकता और न ही इसके शेयर्स को बेचा जा सकता है।

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