दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम जमानत दी। यह जमानत प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी के मामले में है। इसके अलावा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच में भेजने की सिफारिश भी की है। अरविंद केजरीवाल को जमानत पर रिहाई तो मिल गई है लेकिन कोर्ट ने कई शर्तें भी लगा रखी है।
जानें क्या हैं शर्तें
रिहाई के बाद अरविंद केजरीवाल पर सबसे बड़ी शर्त है कि वह बेल अवधि के दौरान सीएम के तौर पर कामकाज नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा अरविंद केजरीवाल को 50 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भी भरना होगा और 50 हजार रुपये की श्योरिटी भी देनी होगी।
सबसे अहम बात यह है कि अरविंद केजरीवाल को बेल तो मिल गई लेकिन वह दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री दफ्तर या दिल्ली सचिवालय भी नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा किसी फाइल पर साइन भी नहीं कर सकते हैं।
वहीं अरविंद केजरीवाल इस मामले में अपनी भूमिका को लेकर मीडिया में बयानबाजी भी नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल किसी गवाह से बात नहीं कर सकते हैं और ना ही इस केस से जुड़े किसी आधिकारिक फाइल को वह देख सकते हैं। अगर वह इनमें से कोई भी शर्त का उल्लंघन करते हैं तो उनकी अंतरिम जमानत खत्म हो जाएगी और उन्हें फिर से जेल जाना पड़ेगा।
कोर्ट ने कही बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 17 मई को ही सुनवाई पूरी हो चुकी थी। उसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया और कहा कि अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय से जेल में बंद हैं और जब तक बड़ी बेंच मामले पर सुनवाई नहीं कर लेती है, तब तक उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। वहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर कोर्ट ने कहा कि उन्हें इसे छोड़ना है या इस पर बने रहना है, इसका फैसला उन्हें खुद करना है। इस पर हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।