Delhi Congress: दिल्ली में चुनावी मुकाबला भले ही आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा हो लेकिन इस बार कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका था लेकिन इस बार पार्टी अपनी गलतियों से सबक लेते हुए नई रणनीति के साथ चुनाव लड़ने जा रही है। दिल्ली में अगले कुछ दिनों में चुनाव का ऐलान होना है और फरवरी के दूसरे हफ्ते में यहां वोट डाले जाएंगे।

दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं। आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है लेकिन बीजेपी और कांग्रेस इस मामले में पीछे हैं।

सवाल यह है कि कांग्रेस जितनी बड़ी चुनावी तैयारी कर रही है क्या इससे उसे जमीन पर भी कोई फायदा मिलेगा? इस खबर में हम इस पर ही बात करेंगे।

केजरीवाल और आतिशी को उनके गढ़ में घेरने के लिए पूरी ताकत लगा रही बीजेपी और कांग्रेस, क्या इससे AAP को नुकसान होगा?

दिल्ली में रोमांचक हुआ चुनावी मुकाबला। (Source-PTI)

केजरीवाल ने दिया जोर का झटका

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनने से पहले ही कांग्रेस को एक बड़ा झटका तब लगा जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी। जबकि कुछ महीने पहले ही हुए लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि इसके बावजूद भी यह दोनों दल दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सके थे और बीजेपी ने सभी सातों सीटों पर चुनावी जंग जीत ली थी।

बहरहाल, अब बात करते हैं दिल्ली में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर। कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने वॉर रूम को चुस्त-दुरुस्त कर लिया है और उम्मीदवारों को चुनाव किस तरह लड़ना है, इस संबंध में उन्हें दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। दूसरी ओर राजधानी के अंदर खुद को चुनावी मुकाबले में दिखाने के लिए पार्टी अपने कई वरिष्ठ नेताओं को चुनावी जिम्मेदारियां देने जा रही है। इनमें कांग्रेस शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और तमाम बड़े पदाधिकारियों का नाम शामिल है।

चुनाव के दौरान पार्टी के सभी बड़े नेता दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेसवार्ता करेंगे और दिल्ली के लोगों के लिए कई चुनावी गारंटियों का भी ऐलान किया जाएगा। पार्टी इस संबंध में अपना गारंटी पत्र भी तैयार कर चुकी है।

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आप को मिलेगा चुनाव में फायदा? (Source-PTI)

राहुल, प्रियंका, खड़गे मांगेंगे वोट

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सभी राष्ट्रीय नेता मोर्चा संभालेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी में बड़ी रैलियों से लेकर प्रत्याशियों के लिए छोटी-छोटी चुनावी जनसभाएं करने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है। इन चुनावी रैलियों और जनसभाओं में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे बड़े नेता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगेंगे।

इन वरिष्ठ नेताओं के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, सचिन पायलट, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित कई बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस दिल्ली के सियासी अखाड़े में उतरेगी।

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दलित चेतना और प्रतिरोध का प्रतीक बना नीला रंग। (Photos: Bhupendra Rana/Express; @RahulGandhi)

बीजेपी के साथ ही आप पर भी हमलावर है कांग्रेस

पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के तेवरों को देखें तो यह साफ नजर आता है कि पार्टी भले ही इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी के साथ है लेकिन दिल्ली में वह आम आदमी पार्टी को बख्शने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन कई बार अरविंद केजरीवाल पर हमला कर चुके हैं और उन्हें राष्ट्र विरोधी तक बता चुके हैं।

पार्टी ने इसीलिए अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और दिल्ली में दो बार सांसद रहे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है। इसी तरह मुख्यमंत्री आतिशी की विधानसभा सीट कालकाजी पर भी पार्टी ने महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा को उतारकर यह साफ कर दिया है कि वह बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी धारदार तेवरों के साथ चुनाव लड़ेगी।

कालकाजी सीट से बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी के बयानों को लेकर कांग्रेस पूरी बीजेपी और आरएसएस को निशाने पर ले रही है।

दो चुनावों में नहीं खुला खाता

पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस की हालत बहुत पतली है। पिछले दोनों ही चुनाव में पार्टी का यहां पर खाता तक नहीं खुला था। 2020 के विधानसभा चुनाव में तो अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। दिल्ली में विधानसभा की कुल 70 और लोकसभा की 7 सीटें हैं।

सालबीजेपी को मिली सीटेंआप को मिली सीटेंकांग्रेस को मिली सीटें
2013 विधानसभा चुनाव31288
2014 लोकसभा चुनाव700
2015 विधानसभा चुनाव 3670
2019 लोकसभा चुनाव700
2020 विधानसभा चुनाव8620

द‍िल्‍ली में पिछले कुछ चुनावों में मिला वोट शेयर

राजनीतिक दल2019 लोकसभा चुनाव में (प्रतिशत में)2020 विधानसभा चुनाव में (प्रतिशत में)2024 लोकसभा चुनाव में (प्रतिशत में)
बीजेपी56.738.554.4
कांग्रेस22.64.318.9 (तीन सीटों पर लड़ी थी)
आप18.253.624.2 (चार सीटों पर लड़ी थी)

हरियाणा, महाराष्ट्र में हार के बाद गिरा मनोबल

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में निश्चित रूप से लोकसभा सीटों की संख्या में इजाफा जरूर किया लेकिन उसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में हार मिलने की वजह से पार्टी का मनोबल काफी गिरा है।

कांग्रेस दिल्ली में बड़ी चुनावी लड़ाई लड़ने का दम तो भरती दिख रही है लेकिन पिछले चुनावी नतीजे देखकर यह कहना मुश्किल है कि वह दिल्ली की सियासत में कोई बड़ा उलटफेर कर पाएगी। हालांकि सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है। यहां ये भी नहीं भूलना होगा कि कांग्रेस 1998 से 2013 तक लगातार दिल्ली में सरकार चला चुकी है लेकिन आम आदमी पार्टी के उदय के बाद पार्टी दिल्ली की सियासत से लगभग साफ हो गई है। देखना होगा कि वह दिल्ली में जीरो सीटों के अपने पिछले चुनावी प्रदर्शन से कितना आगे बढ़ पाती है।

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