दिल्ली में कोरोना से बीमार लोग बेहद परेशान हैं। न तो दवा मिल रही है और न ही इलाज हो पा रहा है। और तो और अस्पताल तक पहुंचने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ सरकार दावा कर रही है कि व्यवस्था में सुधार हो रहा है। अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे है। दिल्ली के सबसे अधिक कोविड पीड़ितों वाले लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी रही।

अस्पताल में अफरातफरी का आलम यह है कि लोग मरीज को लेकर सड़क पर गिड़गिड़ा रहे हैं, लेकिन उनको अटेंड करने वाला कोई नहीं है। 43 वर्षीय असलम खान अपनी 30 वर्षीय पत्नी रूबी खान को गंभीर हालत में बाइक पर लेकर लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल पहुंचा। उसने बताया कि उसे कोई एंबुलेंस नहीं मिली। मजबूरन उसने उसे बाइक पर बैठाकर अस्पताल ले आया। दुखद बात यह है कि वह तीन अस्पताल घूम आया, लेकिन कहीं भी उसे भर्ती नहीं किया गया। अंत में वह लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल पहुंचा। उसने कहा कि पत्नी की हालत गंभीर है। उसे मरने के लिए कैसे छोड़ दें।

उसने स्टाफ से गिड़गिड़ाया कि उसे भर्ती कर लें, उसका इलाज शुरू कर दें। उसकी हालत बहुत गंभीर है। वह मरने की स्थिति में पहुंच गई है। अस्पताल के बाहर ऐसे सैकड़ों मरीज हैं, जिनकी दशा बहुत खराब है।

वे रो रहे हैं, गिड़गिड़ा रहे हैं। लेकिन डॉक्टर भी लाचार हैं। उनके पास भी सीमित स्टाफ, दवाइयां और बेड हैं। ऑक्सीजन की भारी कमी है। वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

सरकार ने गुरुवार को कहा कि कंपनियां अस्थायी अस्पतालों और कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिये अस्थायी सुविधाओं पर जो खर्च कर रही हैं, उसे सीएसआर (कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी) गतिविधियों की श्रेणी में रखा जाएगा। कंपनी कानून के तहत लाभ कमाने वाली कंपनियों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का 2 प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना है।