रक्षा मंत्रालय के लिए बेहद गहमागहमी भरे रहे इस साल में जहां एक तरफ करीब दो लाख करोड़ रुपए के कई महत्त्वपूर्ण रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी मिली वहीं वन रैंक-वन पेंशन योजना, यमन और नेपाल में चलाए गए अभियान, डीआरडीओ में शीर्ष स्तर पर बदलाव के साथ ही नई रक्षा खरीद प्रक्रिया और रफाल गतिरोध को तोड़ने में सफलता जैसे कई मामले मंत्रालय के गलियारे में छाए रहे।
2015 में मणिपुर में घात लगाकर किए गए हमले में 18 सैनिकों की मौत और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की मौत भी इस साल की अहम घटनाओं में शुमार हैं। साल की शुरुआत 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरम्यानी रात में उस विवादित तटरक्षक अभियान से हुई जिसमें एक संदिग्ध पाकिस्तानी नौका में आग लग गई थी।
सरकार का दावा था कि ‘संदिग्ध’ नौका में सवार लोगों ने ही उसमें आग लगा दी थी। इसके बाद जल्द ही एक वीडियो सामने आया जिसमें तटरक्षक के डीआइजी बीके लोशाली दावा करते दिखाई पड़े कि उन्होंने ही नौका को निशाना बनाने का आदेश दिया था। इस बात से हतप्रभ रक्षा मंत्रालय और तटरक्षक उनके दावों का खंडन करने में जुट गए और कोर्ट मार्शल के बाद अंतत: इस महीने की शुरुआत में लोशाली को पद से हटा दिया गया।
जनवरी में सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंद्र को उनका करार खत्म होने से 15 महीने पहले ही हटा दिया। इस फैसले से सभी हैरान थे। इसके बाद पद को विभाजित कर दिया गया और चार महीने बाद एस क्रिस्टोफर को नया डीआरडीओ प्रमुख और जी सतीश रेड्डी को मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। रक्षा मंत्रालय के लिए साल की सबसे बड़ी सफलता फ्रांस के साथ सरकार के स्तर पर 36 रफाल जेट विमानों को खरीदने का फैसला करने की रही।
शुरू में 126 विमान के प्रस्ताव के बजाय केवल 36 रफाल विमानों की खरीद के सरकार के फैसले के साथ मूल टेंडर लगभग खत्म हो गया। सौदे की कीमत को लेकर बातचीत तीन साल से चल रही थी और गतिरोध बना हुआ था। इसी साल नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) पर भी काम देखा गया। बहरहाल, इसे मार्च तक ही पूरा हो जाना था, लेकिन नई सरकार को इसमें मुश्किलें लगीं और डीपीपी अभी तक पूरा नहीं हो पाई।
पूरे साल रक्षा मंत्रालय में ‘मेक इन इंडिया’ भी छाया रहा। इसी मुद्दे पर स्पष्ट नीति तय करने के लिए मंत्रालय ने भारतीय उद्योग संघों के साथ बातचीत की। हिंद महासागर में जलदस्यु रोधी अभियानों की आड़ में चीनी पनडुब्बी की गश्त ने भारतीय नौसेना को उलझाए रखा। सेना जम्मू कश्मीर में भी सतर्क रही। बहरहाल, घुसपैठ के प्रयासों में कमी के बावजूद सेना के कई सैनिक मारे गए और दो कर्नल भी शहीद हो गए।
इसी साल भारतीय सेना ने कार निकोबार द्वीप से सफलतापूर्वक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के आधुनिक प्रारूप का परीक्षण किया। नवंबर में सरकार ने सैन्य कर्मियों के लिए बहुप्रतीक्षित ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओरआरओपी) योजना की घोषणा की। बहरहाल, सैनिकों के एक खास वर्ग ने उनके साथ धोखा किए जाने का आरोप लगाते हुए अपना आंदोलन जारी रखा। ओआरओपी योजना को लागू करने के लिए सरकार ने 14 दिसंबर को न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी को न्यायिक समिति के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया था।
इस साल सेना की अन्य महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में भारतीय सीमाओं से परे बचाव और राहत अभियानों में हिस्सा लेना भी रहा, जिनमें भारतीय सेना ने नेपाल भूकम्प के बाद और यमन में बचाव और राहत अभियानों में बढ़-चढ़ कर योगदान किया।