प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में पूर्व संयुक्त सचिव जरनैल सिंह ने कहा है कि अटल बिहारी की सरकार में फैसले ज्यादा तेजी से होते थे। अपनी किताब “With Four Prime Ministers: My PMO Journey” में उन्होंने यह दावा किया है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल के विचारों को भी साझा किया है।

उन्होंने किताब में उस दिन का जिक्र किया है जब अटल ने कश्मीरी पंडितों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। किताब में लिखा गया है कि प्रतिनिधिमंडल से मिलने और उनकी पीड़ा को सुनने के बाद पूर्व पीएम सहम गए थे और उनके मुंह से सिर्फ हरे राम, हरे राम ही निकल रहा था। पता नहीं इस देशा का क्या होगा। मैंने उनकी आवाज में उस दिन एक अलग ही भारीपन देखा था।

एच डी देवेगौड़ा, आई के गुजराल, वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकार में संयुक्त सचिव रह चुके जरनैल सिंह ने कहा है कि वह (अटल) भी कश्मीरी पंडितों के दर्द को कम करने के लिए कोई भी समाधान प्रदान करने में असहाय लग रहा थे।

वह किताब में लिखते हैं वाजपेयी के कार्यकाल के तहत पीएमओ के कामकाज पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अधिक प्रभाव नहीं डाल सका। वाजपयी का कार्यकाल एच डी देवेगौड़ा और गुजराल के कार्यकाल की ही तरह था लेकिन उनकी सरकार में फैसले ज्यादा तेजी के साथ होते थे। यहां तक की आरएसएस की तरफ से पीएम से मिलने के लिए ज्यादा कोशिश भी नहीं की जाती थी।

उन्होंने आगे कहा है कि ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग इतने लंबे समय तक भारतीय क्षेत्र में इतने पाकिस्तान सेना के जवानों और आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में केंद्र को सचेत करने में विफल रही और कारगिल युद्ध हुआ।’