नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) 2012 में एक केस दर्ज किया था जिसके तहत 14 लोगों पर UAPA का केस दर्ज किया गया था। लेकिन NIA की स्पेशल कोर्ट ने एक ऐसे आरोपी को इस मामले से बरी कर दिया जो बाटला हाउस मामले में फांसी की सजा पा चुका है। दूसरे कई राज्यों में भी उसके ऊपर विस्फोट करने के केस दर्ज हैं। NIA का आरोप था कि आरोपी इंडियन मुजाहिद्दीन का सदस्य है। लेकिन स्पेशल कोर्ट ने अपने 121 पेज के फैसले में तीन आरोपियों को मुजाहिद्दीन का मेंबर मानने से इनकार करते हुए 2012 के केस से बरी कर दिया। 11 पर चार्ज फ्रेम किए गए हैं।

NIA ने 2012 में एक केस दर्ज करके 30 लोगों पर आरोप लगाया था कि ये सारे इंडियन मुजहिद्दीन के एक्टिव मेंबर्स हैं। ये सारे लोग आतंकी संगठन में बड़े पैमाने पर युवकों को भरती करने की फिराक में थे। इन लोगों का इरादा दिल्ली में सिलसिलेवार ब्लास्ट करके आतंक मचाना था। एजेंसी ने चार चार्जशीट दाखिल की थीं। एडिशनल सेशन जज शैलेंद्र मलिक की कोर्ट ने तीन को UAPA से बरी किया।

आरिज खान, मंजर इमाम और अब्दुल वाहिद को UAPA के केस से बरी किया गया। कोर्ट ने नहीं माना कि इनका इंडियन मुजाहिद्दीन से कोई ताल्लुक है। जबकि इसी मामले में 11 लोगों दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान सैय्यद मकबूल, उबैद उर रहमान, अहमद सिद्धीबापा, असद्दुल्लाह अख्तर, उज्जैर अहमद, तहसीन अख्तर, हैदर अली, जिया उर रहमान के खिलाफ UAPA के केस में चार्ज फ्रेम किए।

आरिज खान को बाटला हाउस मामले में मिली है फांसी

आरिज खान, मंजर इमाम और अब्दुल वाहिद को 2012 में दर्ज इस मामले में बरी किया गया। आरिज खान को बाटला हाउस एनकाउंटर केस में फांसी की सजा सुनाई गई थी। उसकी अपील दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने कहा कि बाटला हाउस मामले में आरिज के इकबालिया बयान को आधार मानकर NIA मौजूदा मामले में उसे UAPA के तहत उस पर चार्ज फ्रेम करने की मांग कर रही है। लेकिन मौजूदा मामले में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिलता जो उसे आतंकी मानकर सुनवाई को आगे बढ़ाया जाे। कोर्ट का ये भी कहना था कि आरिज खान को इंडियन मुजाहिद्दीन का एक्टिव मेंबर मानते हुए कई दूसरी कोर्ट में उसके ऊपर ट्रायल चल रहा है। लेकिन हम ये नहीं कह सकते कि वो कई जगह आरोपी है तो NIA की थ्योरी ठीक है।