धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत की जांच अब सीबीआई करेगी। बुधवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मालूम हो कि जज को 28 जुलाई की सुबह सैर के दौरान एक वाहन ने कुचल दिया था। सीबीआई ने मामले की जांच के लिए 20 सदस्यीय टीम का गठन किया है। अधिकारियों ने बताया कि टीम धनबाद के लिए रवाना हो गयी है।

उन्होंने बताया कि जल्दी ही एक केंद्रीय फोरेंसिक टीम भी धनबाद के लिए रवाना होगी। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की जांच के लिए केंद्र के जरिए झारखंड सरकार का अनुरोध प्राप्त हुआ था। सूत्रों ने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत एजेंसी ने मामले में धनबाद पुलिस की एफआईआर अपने अधिकार में ले ली है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले शनिवार को 49 वर्षीय धनबाद के जज के हिट एंड रन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का फैसला किया था।

सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि जज रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ जॉगिंग कर रहे थे कि तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर आ गया और पीछे से उन्हें टक्कर मारकर फरार हो गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने जज को मृत घोषित कर दिया था।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट को सूचित किया था कि जज की मौत की जांच अपने हाथ में लेने का उन्हें पत्र मिला है। मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सीबीआई को जल्द से जल्द जांच शुरू करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले के सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का भी निर्देश दिया था। मामले में धनबाद के प्रधान जिला जज द्वारा अदालत के समक्ष दायर एक पत्र का संज्ञान लेते हुए, जस्टिस रंजन ने इसे एक रिट याचिका में बदल दिया था और मामले को देखने के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय लातकर की अध्यक्षता में एक एसआईटी के गठन का आदेश दिया था।

बेंच ने प्रोग्रेस रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर सवाल किया था कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों हुई। अदालत ने कहा था कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई और एफआईआर दोपहर 12.45 बजे दर्ज की गई जब सीसीटीवी फुटेज से यह साफ हो गया कि जज को मौके से उठाया गया और अस्पताल ले जाया गया।

कोर्ट ने पूछा, “क्या पुलिस केवल एक बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज करती है? क्या पुलिस खुद से एफआईआर दर्ज नहीं करती है? पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में छह घंटे क्यों लगे?”

अदालत ने कहा कि घटना के बाद न्यायिक अधिकारियों में डर है और निर्देश दिया कि हाई कोर्ट सहित अदालतों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को मजबूत किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को धनबाद के न्यायाधीश के “दुखद निधन” का भी स्वत: संज्ञान लिया था। शीर्ष अदालत ने कहा, “हम झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को अतिरिक्त जिला और सत्र जज उत्तम आनंद की मौत की जांच की स्थिति पर एक सप्ताह के समय में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देते हैं।”