लोकसभा में पिछले दिनों हंगामा कर रहे 25 कांग्रेस सदस्यों को पांच दिनों के लिए निलंबित करने के विरोध में सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा रहे कांग्रेस सदस्यों की नारेबाजी एवं हंगामे के कारण राज्यसभा में शुक्रवार को भी गतिरोध बना रहा। उच्च सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब पौने तीन बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के कारण सदन में शून्यकाल, प्रश्नकाल और कोई कामकाज नहीं हो पाया।

ललित मोदी प्रकरण और व्यापमं घोटाले को लेकर विदेश मंत्री और राजस्थान व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लगातार दूसरे हफ्ते उच्च सदन में गतिरोध जारी रहा। शुक्रवार को सदन में दो बार के स्थगन के बाद दोपहर ढाई बजे बैठक शुरू होने पर उप सभापति पीजे कुरियन ने सदस्यों से गैर सरकारी विधेयक पेश करने को कहा। जिसके बाद छह गैर सरकारी विधेयक पेश किए गए।

कुरियन ने पूर्व में पेश किए गए एक गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कहा। लेकिन कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस बात पर आम सहमति है कि जब तक हमारे उठाए गए मुद्दों का समाधान नहीं होगा, सदन में कोई कामकाज नहीं होगा। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि ऐसी कोई आम सहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध है और सरकार की ओर से कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। यह सरकार का अहंकार है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हमारे मुद्दों का समाधान नहीं होगा तब तक गतिरोध बना रहेगा।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उनकी बात का विरोध किया। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि गरीबों और कमजोर वर्गों के हित में कोई कामकाज नहीं किया गया हो। उन्होंने कांग्रेस पर देश के विकास में बाधा डालने का आरोप भी लगाया। जवाब में आनंद शर्मा ने कहा कि अगर सरकार की ओर से यह गतिरोध दूर करने के लिए कोई प्रस्ताव आए तो ही सदन में कोई कामकाज हो सकता है।

इसी बीच कांग्रेस के सदस्य हंगामा करते हुए आसन के समक्ष आ गए और सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए नारे लगाने लगे। कुरियन ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही को चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने करीब पौने तीन बजे बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले शून्यकाल और प्रश्नकाल में भी यही नजारा था। शून्यकाल में सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत कार्य स्थगन नोटिस दिया है। उन्होंने कहा- हमें पता चला है कि सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने सभापति को एक पत्र लिख कर कहा है कि ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाले और अन्य मुद्दों व लोकसभा से कांग्रेस के 25 सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर इस सदन में विरोध जताने वाले सांसदों के खिलाफ नियम 255 और नियम 256 के तहत कार्रवाई की जाए।

अग्रवाल ने कहा- हमारे खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सभापति पर दबाव बनाया जा रहा है। सदन में सदस्यों को निलंबित करने की परंपरा नहीं रही है। इस पर कुरियन ने पूछा कि सभापति के पास भेजे गए भाजपा सांसदों के पत्र की प्रति अग्रवाल को कैसे मिली। इसी बीच कांग्रेस के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान सपा, वाम, जद (एकी) आदि दलों के सदस्य भी अपने स्थान पर खड़े हुए थे।

नियम 255 के तहत सभापति कथित अनुशासनहीनता के आरोप में किसी सदस्य को सदन से बाहर जाने को कह सकते हैं जबकि नियम 256 के तहत ऐसे सदस्य को कामकाज में लगातार बाधा डाल कर आसन के प्रति असम्मान दर्शाने के लिए निलंबित किया जा सकता है। सदन की बैठक दोपहर बारह बजे शुरू होने पर वही नजारा था। सभापति हामिद अंसारी ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, कांग्रेस के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी फिर शुरू कर दी। सभापति ने सदन में व्यवस्था न बनते देख कर केवल पांच मिनट के भीतर ही दोपहर ढाई बजे तक के लिए बैठक स्थगित कर दी।