आम चुनाव में बीजेपी व नरेंद्र मोदी से करारी हार, राहुल गांधी के पार्टी चीफ पद छोड़ने और नया अध्यक्ष तलाशने की जद्दोजहद से जूझ रही कांग्रेस को पार्टी प्रवक्ता संजय झा ने दोबारा मजबूत करने के लिए खास ‘ब्लू प्रिंट’ तैयार किया है। पांच बिंदुओं वाले इस ऐक्शन प्लान में उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सुझाव दिए हैं कि आखिर कैसे कांग्रेस को संकट के दौर से उबारा जाए। झा ने सलाह दी है कि पार्टी जल्द से जल्द नवाबी-नखरेबाज नेताओं की छुट्टी करे। साथ ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) का आकार भी छोटा कर उसमें 11 से अधिक सदस्य न रखे।
‘याहू न्यूज’ पर प्रकाशित झा के लेख में सबसे पहले ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में पांच क्षेत्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त करने का सुझाव दिया गया। उनके मुताबिक, “मौजूदा वक्त में कांग्रेस अध्यक्ष को हर अहम फैसला लेने के साथ और चीजों पर भी नजर रखनी पड़ती है। पर व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं है, लिहाजा उनकी काम में उनकी मदद के लिए पांच उपाध्यक्ष (उत्तर, पश्चिम, दक्षिण, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए) नियुक्त किए जाने चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा, “कांग्रेस की बैठकों में अक्सर दिशा-निर्देशन की कमी झलकती थी। पता ही नहीं लगता था कि बैठक बुलाई क्यों गई, जबकि उसके निकलने वाले निष्कर्ष की साफ तस्वीर भी नहीं नजर आती थी। ऐसे में महात्मा गांधी, सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू की पार्टी बेहतर की हकदार है। चीजें बदलनी होंगी और ऐसा तेजी से होना चाहिए।”
प्रवक्ता ने यह सुझाव दिया कि सीडब्ल्यूसी को पुनःगठित करने की सख्त जरूरत है। उसे और छोटा किया जाना चाहिए। मौजूदा समय में उसमें 25 सदस्य हैं, पर इसमें 11 (पांच कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा नामित और छह आतंरिक प्रक्रिया से चुने हुए) से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए। इतना ही नहीं, झा चाहते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम तीन साल का हो और यह बात एआईसीसी के संविधान में भी शामिल होनी चाहिए।
उन्होंने पार्टी नेतृत्व से यह भी कहा है कि कांग्रेस खुदरा क्षेत्र से भी फंडिंग जुटाने की कोशिश करे। फिर चाहे वह कुछ व्यक्तियों, परिवारों, कारोबारियों, दुकानदारों, व्यापारियों और किसानों आदि से मिलने वाली छोटी-छोटी ही रकम क्यों न हो। एक जमाने में यही पार्टी के लिए फंड जुटाने वाला पारंपरिक तंत्र था, जो न केवल लोगों के बीच अपनी पहुंच बनाता है, बल्कि राजनीतिक संदेश देने के साथ वोटरों के साथ अच्छे संबंध भी बनाने की कोशिश करता है।
अपने सुझावों में सबसे आखिर में झा ने गृह, विदेश, रक्षा, वित्त, कृषि, मानव एवं विकास संसाधन, पर्यावरण, उद्योग व वाणिज्य आदि मामलों के लिए ‘शैडो मिनिस्टर्स’ (विशेषज्ञों) को नियुक्त करे। ये मोदी सरकार में हो रहे इन मंत्रालयों में काम-काज और उनके द्वारा किए जाने वाले दावों की न सिर्फ पड़ताल करेंगे, बल्कि देश के सामने उनकी असल हकीकत भी लाएंगे।
