कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा प्रकोप दिल्ली में देखने को मिल रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से देश की राजधानी दिल्ली में भी स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खस्ता हो चुकी है। दिल्ली में कई कोरोना संक्रमित ऑक्सीजन की कमी की वजह से मर रहे हैं तो कई अस्पताल में बेड ना मिल पाने के कारण अस्पताल के बाहर दम तोड़ रहे हैं। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी हॉस्पिटल के बाहर बेड ना मिल पाने की वजह से एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो गई।

शुक्रवार को एलएनजेपी अस्पताल से 100 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था। मरीजों को डिस्चार्ज किए जाने की जानकारी मिलते ही कई लोग शुक्रवार रात से ही कोरोना संक्रमितों को लेकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों में दिल्ली के रोहिणी निवासी 34 वर्षीय कासिम भी थे। कासिम को उनकी पत्नी रुबीना और कुछ पड़ोसी यहां भर्ती कराने पहुंचे थे। लाइन में खड़े होने के दौरान ही कासिम की तबीयत बिगड़ने लगी। 

तबीयत बिगड़ता देख कासिम की पत्नी रुबीना ने अस्पताल के गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों से अंदर जाने देने की गुहार लगाई। जिसके बाद गार्ड ने कासिम को एम्बुलेंस सहित अंदर जाने दिया लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने कासिम को पहले कोविड टेस्ट करवाने को कहा। कासिम की पत्नी रुबीना ने डॉक्टरों से गुहार लगाते हुए कहा कि उनके पति को कोरोना के सभी लक्षण हैं इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाए। लेकिन डॉक्टरों ने उसकी मांग को अनसुना कर दिया। 

जिसके बाद थोड़ी ही देर में कासिम की तबीयत और ख़राब होने लगी। साथ ही वह बुरी तरह से खांसने भी लगा। इस दौरान कासिम के परिजनों ने डॉक्टरों से ऑक्सीजन देने की गुहार लगाई। लेकिन डॉक्टरों के आने से पहले ही कासिम की मौत हो गई। हालांकि डॉक्टरों ने इसके बाद कासिम को पुनर्जीवित करने की कोशिश की लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। कासिम की मौत के बाद उनकी पत्नी रुबीना रोते हुए कहने लगीं कि मैंने अपना सब कुछ खो दिया है। हम कल से अस्पताल में बिस्तर की तलाश कर रहे थे। हमें बताया गया था कि कुछ लोगों को इस अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है  इसलिए वहां बेड उपलब्ध हो सकते हैं। अब मैं अपने बच्चों को कैसे बताऊंगी कि उनके पिता मर चुके हैं?

रुबीना के अलावा कई और लोग भी अपने कोरोना संक्रमित परिजनों के साथ अस्पताल में बेड के लिए इंतजार कर रहे थे। इनमें से अधिकांश लोग शुक्रवार रात से ही अस्पताल के बहार खड़े होकर अपनी बारी की इंतजार कर रहे थे। अस्पताल के बाहर लंबी लाइन और बेड ना मिल पाने के कारण कई कोरोना संक्रमितों के परिजन उदास दिखे और बेड की जुगत में इधर उधर भागते भी दिखे।

हालांकि लोक नायक अस्पताल के अधिकारी ने कहा, “हमारे पास 1,500 बिस्तर हैं और हर दिन हम सैकड़ों रोगियों को भर्ती कर रहे हैं। जिन लोगों को भर्ती नहीं किया जा सकता है, हम उन्हें पास के अस्पतालों में भेज रहे हैं। अब हमारे पास कोई बिस्तर नहीं है। हमारे कर्मचारी अभी भी ऑक्सीजन सिलेंडर और एम्बुलेंस सेवाओं वाले परिवारों की मदद कर रहे हैं।”

 

दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 27,047 नए मामले सामने आए। साथ ही करीब 375 मौतें इस वायरस की वजह से हो गई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब तक कोरोना से 16147 मरीजों की मौत हो चुकी है।