लगता है कि कोविड की उतरती लहर के साथ लोग कोरोना के प्रति सावधानियां भूलने लगे है। आम तो आम खास भी मास्क और दो गज की दूरी को लेकर चिंता मुक्त फिरने लगे हैं। औरंगाबाद में गत दिवस यही देखने को मिला। वहां के एआइएमआइएम विधायक इम्तियाज़ अली क्षेत्र के दुकानदारों का दर्द लेकर लेबर कमिश्नर के पास पहुंचे तो उनके चेहरे पर मास्क नहीं था। यही नहीं वे अपने साथ पीड़ित दुकानदारों का हुजूम भी ले गए थे। छोटे से कमरे में इन लोगों के कारण इतनी भीड़ हो गई कि दो गज दूरी के नियम का पालन करना ही असंभव हो गया।

मामला यह था कि शहर में लॉकडाउन के बाद भी अफसरों को कुछ दुकाने खुली मिली थीं। कई दुकाने सील कर दी गई थीं और कई पर पर जुर्माना लगाया गया था। इसी कार्रवाई के विरोध में दुकानादार लेबर कमिश्नर को घेरने आए थे। देखते ही देखते अधिकारी का छोटा सा कमरा ठसाठस भर गया। उधर, विधायक ने अधिकारी के बगल वाली कुर्सी पर कब्जा जमा लिया और अधिकारी की तरफ मुखातिब होकर जोरजोर से अपनी बात कहते रहे। विधायक के चेहरे पर मास्क नहीं था जबकि लेबर कमिश्नर ने पहन रखा था।

उधर, बीच-बीच में दुकानदार शोर मचाकर अपनी बात कहते जा रहे थे। एक दुकानदार ने कहा कि वह चाय बेचता है। छोटी सी दुकान है। मुझ पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। बताइए कि मैं कहां से इस रकम का इंतजाम करूं। एक अन्य दुकानदार भी परेशान था। वह खिलौने बेचता था। उसने कहा कि वह बमुश्किल किराया निकाल पाता है। जुर्माने की रकम कहां से भरे।

उल्लेखनीय है कि इधर कुछ दिनों से लॉकडाउन और कर्फ्यू में ढील दी जा रही है। यूपी के अधिकांश बड़े शहरों में इसे खत्म कर दिया गया है। हालांकि सरकार ने कहा है कि ढील के बाद भी कोरोना के प्रति सुरक्षा के सारे उपाय किए जाएं। लेकिन इसके बाद भी बहुत से लोग पालन करने में असमर्थ हैं, जबकि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। लोग भूलते जा रहे हैं कि कोरोना की पहली लहर के धीमे पड़ते ही लोग इस तरह आचरण करने लगे थे कि मानो सब ठीक नहीं हुआ। लोग क्या सरकार भी खुद अपनी पीठ ठोकने लगी थी। लेकिन कोरोना ने दोबारा हमला किया और फिर उसने ऐसा नंगनाच किया कि अभी तक आदमी ठीक से सांस नहीं ले पा रहा।

इस बार गनीमत यही है कि लोग पहले से ज्यादा जागरूक हैं। सरकार भी अपनी पहले वाली गलती जानती है। अतएव वह भी लोगों को सुररक्षा उपाय छोड़ने न देगी। भले ही उसे औरंगाबाद की तरह कर्फ्यू तोड़ने वालों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़े।