Covid-19: दुनिया के दो जाने-माने हेल्थ एक्सपर्ट्स आशीष झा और जोहान गिसेक ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस अगले साल तक रहने वाला है और भारत में लॉकडाउन में लचीलापन लाने एवं आर्थिक गतिविधियां आरंभ करते समय लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की जरूरत है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के दौरान दोनों विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोरोना के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जांच की जाए और बुजुर्गों, गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों एवं अस्पतालों में मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाए।
मगर राहुल गांधी तब सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए जब उन्होंने आशीष झा से वैक्सीन के बारे में पूछा। कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘ये बताइए भैया की वैक्सीन कब आएगी?’ इसके जवाब में हेल्थ एक्सपर्ट झा ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि वैक्सीन अगले साल तक कहीं ना कहीं आ जाएगी। वैक्सीन पर कांग्रेस नेता के इस सवाल पर सोशल मीडिया में उनको खूब ट्रोल किया जा रहा है।
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एक यूजर @coolfunnytshirt लिखते हैं, ‘तुम वैक्सीन के बारे में पूछ रहे हो या सब्जी वाले से पूछ रहे हो। ये भैया पत्ता गोभी कब तक आएगी?’ कंगना @KRforINDIA लिखती हैं, ‘ये वैक्सीन की नहीं, सब्जी मंडी में मोल भाव कर रहे हैं।’ काशी @terikahkelunga लिखते हैं ‘उम्र पचपन की और बात बचपन की ही करते हैं। शुभेंदु @BBTheorist लिखते हैं, ‘क्या राहुल गांधी ने उन्हें भैया सिर्फ इसिलए कहा क्योंकि हॉवर्ड एक बिहारी हैं?’ दलीप पंचोली @DalipPancholi लिखते हैं, ‘पीछे दादी हंस रही हैं।’
यहां देखें वीडियो-
"Yeh bhaiya bataiye ki vaccine kab aayegi?," Rahul Gandhi to public health expert Prof Ashish Jha, to which Jha says, "I am very confident a vaccine will come by next year". pic.twitter.com/xBUb6zLXKI
— ANI (@ANI) May 27, 2020
बता दें कि दोनों विशेषज्ञों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि अब लोगों का जीवन बदलने वाला है। अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमले (9/11) को नया अध्याय कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 पूरी नई किताब होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में कोरोना से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्यों को ज्यादा अधिकार एवं संसाधन मुहैया कराने होंगे। भारतीय मूल के जाने माने अमेरिकी लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा ने कहा कि कोविड-19 वायरस अगले साल तक रहने वाला है और लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां आरंभ करते समय लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की जरूरत है।
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‘ब्राउन यूनिर्विसटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के नवनियुक्त डीन झा ने यह भी कहा कि भारत को लॉकडाउन और कोरोना जांच को लेकर रणनीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव के साथ ही इसका मनोवैज्ञानिक असर भी है और सरकारों को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। ‘हारवर्ड ग्लोब्ल हेल्थ इंस्टीट्यूट’ के निदेशक झा ने कहा, ‘‘इस वायरस का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है। लॉकडाउन के जरिए आप अपने लोगों को एक तरह का संदेश देते है कि स्थिति गंभीर है। ऐसे में जब आप आर्थिक गतिविधियां खोलते हैं तो आपको लोगों में विश्वास पैदा करना होता है।’’
उनके मुताबिक यह वायरस अगले 18 महीने यानी 2021 तक रहने वाली समस्या है। अगले साल ही कोई टीका या दवा आएगी। लोगों को समझने की जरूरत है कि अब जीवन बदलने वाला है। अब जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा। लॉकडाउन से जुड़े राहुल गांधी के एक सवाल के जवाब में झा ने कहा कि सरकारों को रणनीति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए अच्छी बात यह है कि उसके पास बड़ी संख्या में नौजवान आबादी है जिसके लिए कोरोना घातक नहीं होगा। बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती लोगों का ख्याल रखना होगा।
स्वीडन के ‘कोरोलिंस्का इंस्टीट्यूट’ के प्रोफेसर एमिरेटस जोहान गिसेक ने भी इस वायरस के अगले कई महीनों तक मौजूद रहने का अंदेशा जताया, हालांकि यह भी कहा कि यह एक ‘मामूली बीमारी’ है जो 99 फीसदी लोगों के लिए घातक नहीं है। भारत में लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर गिसेक ने कहा, ‘‘भारत में सख्त लॉकडाउन अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा। लॉकडाउन में लचीलेपन की जरूरत है।’’ उनके मुताबिक लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलना चाहिए। पहले कुछ पाबंदियां हटाई जाए। अगर संक्रमण ज्यादा फैलता है तो फिर एक कदम पीछे खींचे लीजिए। बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों का ध्यान रखा जाए। (एजेंसी इनपुट)