कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन से प्रवासी मज़दूरों का बुरा हाल है। लॉकडाउन के चलते इन मजदूरों का रोजगार छिन गया है। कई जगहों पर हालात इतने खराब हैं कि मजदूर अपने बच्चों से भीख मंगवाने को मजबूर हैं ताकि परिवार का पेट पाल सकें। ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के बाद काम नहीं होने की वजह से द. भारत में रह रहे राजस्‍थान के प्रवासी मजदूरों को अपने बच्चों से भीख मंगवानी पड़ रही है। प्रवासी मज़दूरों के 22 परिवार यहां अपने 20 बच्चों से भीख मंगवाने को मजबूर हैं।

इन प्रवासी मज़दूरों का परिवार अब बच्चों की कमाई से चल रहा है। 18 वर्ष से कम उम्र के 19 बच्चों सहित कुल 75 सदस्य वेंडीपलयम के रास्ते में सौर गोल चक्कर के पास पिछले दो साल से रह रहे हैं। यहां हर परिवार ने अपनी झोपड़ी बना रखी है। समान के नाम पर इन मजदूरों के पास पानी जमा करने के लिए कुछ बर्तन, कुछ कपड़े और खाना बनाने के बर्तन हैं। जहां परिवार के पुरुष निर्माण कार्यों के लिए जाते थे और दिहाड़ी मजदूरी करते थे वहीं महिलाएं रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थानों पर फैंसी आइटम बेंच कर अपना पेट पाल रही थी। लेकिन लॉकडाउन के बाद सब कुछ बदल गया।

मार्च में लॉकडाउन के बाद हालात बद से बदतर हो गए हैं। रोजगार नहीं होने की वजह से वे लोग घर पर ही हैं। परिवार को आय प्रदान करने के लिए बच्चों को भीख मांगनी पड़ रही है। फैंसी आइटम बेचकर प्रतिदिन 80 से 100 रुपये कमाने वाले परिवार के एक सदस्य ने कहा “मार्च के बाद से हमारे पास कोई काम नहीं है ना ही कोई आय है। दिन में एक समय का खाना भी मुश्किल से नसीब हो रहा है।” परिवार अब अपने 2 बच्चों की आय पर निर्भर है। जो 10 साल से भी कम उम्र के हैं।

इन परिवारों के चार बच्चे पास की रेलवे कॉलोनी में भीख मांगते हुए दिखे थे। जिसके बाद इरोड रेलवे चाइल्डलाइन 1098 पर इसकी जानकारी दी गई थी। यह चाइल्डलाइन एक एनजीओ राइट्स एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सेंटर द्वारा चलाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक इसके समन्वयक जयराज ने बताया कि फील्ड निरीक्षण के दौरान परिवारों की दयनीय स्थिति का पता चला और उन तक राशन पहुँचने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परिवारों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा एक स्थायी समाधान खोजने पर चर्चा चल रही है, ताकि बच्चों का पुनर्वास हो और उन्हें फिर स्कूल भेजा जा सके।

बता दें सेंटर फॉर मॉनिटारिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के सर्वें के मुताबिक लॉकडाउन के चलते भारत में 12 करोड़ 20 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। लॉकडाउन के चलते 130 करोड़ आबादी वाले देश में कई उद्यम बंद हो गए हैं। जब लॉकडाउन समाप्त हुआ था तब देश में बेरोजगारी दर 27.1% पर पहुंच गई थी। सीएमआईई के मुताबिक, लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को भारी झटका लगा है। इनमें फेरीवाले, सड़क के किनारे दुकाने लगाने वाले विक्रेता, निर्माण उद्योग में काम करने वाले श्रमिक और रिक्शा चलाकर पेट भरने वाले लोग शामिल हैं।