बिहार के भागलपुर में दाह संस्कार के लिए पैसे नहीं होने के कारण शव को घर में ही दफनाने का मामला सामने आया है। मजदूर के तौर पर जीवनयापन करने वाले 30 साल के गुड्डू मंडल की शुक्रवार रात मौत हो गई। लॉकडाउन के कारण उसे कोई काम नहीं मिल रहा था। पिछले कई दिनों से उसने भरपेट खाना भी नहीं खाया था। शुक्रवार रात वह सोया। सोने के दौरान ही उसे मिर्गी का दौरा पड़ा और फिर हमेशा के लिए उसकी सांसें थम गईं। उसे उसके घर में ही दफनाया गया, क्योंकि उसके परिजनों के पास दाह संस्कार के पैसे नहीं थे।

गुड्डू के छोटे भाई ओम प्रकाश और अजय ठेला चलाते हैं। दोनों पास में ही रहते हैं। पिछले 2 महीने से उनकी भी कोई आय नहीं थी। गुड्डू के भतीजे नीरज ने बताया, ‘हमें उनका दाह संस्कार करना चाहिए था, लेकिन हमारे पास एक भी रुपया नहीं था। हमें मदद का इंतजार था। हमने क्षेत्र के कुछ अमीर लोगों से भीख भी मांगी, लेकिन उन्होंने गाली देकर हमें भगा दिया। जब किसी भी तरह से हम दाह संस्कार के लिए जरूरी चीजों की व्यवस्था नहीं कर पाए, तो हमने घर की फर्श खोदी और वहीं उन्हें दफना दिया।’

गुड्डू हिंदू था। बिहार में वयस्क हिंदू का दाह संस्कार चिता पर किया जाता है। वह भी नहलाने और नए कपड़े पहनाने के बाद। अजय ने बताया, ‘हम सभी किसी तरह जिंदा रहने का इंतजाम कर रहे थे। मिर्गी से पीड़ित मेरा भाई भरपेट भोजन नहीं मिलने के कारण कमजोर हो गया था। उन्हें शुक्रवार को मिर्गी का दौरा पड़ा। जब हमने उनके शरीर को रगड़ा तो वह ठीक हो गए। वह शाम को सो गए, लेकिन शनिवार सुबह हमने उन्हें मृत पाया।’

मिलने वाले काम के आधार पर गुड्डू रोजाना 100 से 200 रुपये तक कमा लेता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण उसकी कमाई पर ब्रेक लग गया था। उसने पेट भरने के लिए भीख मांगना शुरू किया। कुछ लोगों ने उसे रास्ते में पड़ा हुआ खाना खाते भी देखा था। गुड्डू शादीशुदा था, लेकिन करीब 10 साल पहले ही उसने पत्नी को छोड़ दिया था।

इशाकचक थाने के इंस्पेक्टर एस सुधांशु ने बताया, ‘हमने शव को निकलवा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। यह देखने के लिए कि उसकी मौत के पीछे कोई साजिश तो नहीं है। वह रेलवे लाइन के पास एक झोपड़ी में रहता था। वह मजदूरी करता था और रद्दी बीनने का काम करता था। वह मिर्गी से पीड़ित था। कुछ दवाएं भी लेता था। उसकी मौत कैसे हुई इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। हां, लेकिन वह झोपड़े के अंदर दफनाया गया। वे गरीब लोग हैं।’