देश एक तरफ जहां कोरोना संकट से जूझ रहा है, वहीं दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कुछ शिक्षकों द्वारा CAA के विरोध में प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन 3 जून को हुआ है, जिस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपील की है कि फैकल्टी मेंबर कोरोना वायरस की गाइडलाइंस का उल्लंघन करके यूनिवर्सिटी की इमेज को खराब ना करें।
नोटिस में कहा गया है कि प्रशासन के नोटिस में आया है कि जेएनयू के कुछ फैकल्टी मेंबर्स ने 3 जून 2020 को कैंपस में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन इस माहमारी में कोविड19 गाइडलाइंस का उल्लंघन करने से देश के सामने गलत उदाहरण पेश हो रहा है। खासकर तब जब यह जेएनयू के बौद्धिक लोगों द्वारा किया जा रहा है।
नोटिस में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले फैकल्टी मेंबर्स से अपील की गई है कि जब देश कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, तब वह कोरोना गाइडलाइंस का उल्लंघन करके यूनिवर्सिटी की इमेज खराब ना करें।
वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (JNUTA) का कहना है कि उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया है। JNUTA ने उत्तरी पूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगों के मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जेएनयू के छात्रों की गिरफ्तारी का भी विरोध किया।
जेएनयू के अलावा बेंगलुरू के मौर्या सर्कल में भी बुधवार को सीएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए जामिया के छात्रों सफूरा जरगर, मीरान हैदर, आसिफ इकबाल और जेएनयू के छात्रों नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को सामाजिक कार्यकर्ता इशरत जहां, खालिद सैफी, गुलिफ्शां फातिमा आदि की रिहाई की मांग की गई।