कोरोना वायरस के चलते देशभर में आम जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग घरों से बाहर नहीं निकलने को मजबूर हैं। वहीं कई राज्यों में दिहाड़ी मजदूर घर पहुंचने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। इस विकट परिस्थिति में जो लोग अन्य राज्यों से अपने घर पहुंच गए हैं, उन्हें भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ताजा मामला पश्चिम बंगाल के पुरूलिया के बलरामपुर इलाके का है। यहां चेन्नई से पश्चिम बंगाल स्थित अपने गांव पहुंचे दिहाड़ी मजदूरों के घरों में क्वेरेंटाइन में रहने के लिए अलग कमरा नहीं है। ऐसे में वे पेड़ों पर मचान बनाकर रहने के लिए मजबूर हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्विटर पर तस्वीर साझा की है, जिसमें कई लोग पेड़ों पर रहते हुए दिख रहे हैं।

वैसे, पुरुलिया के इस गांव में पेड़ों में बनाए गए इस तरह के मचान सामान्य दिनों में हाथियों पर नजर रखने के काम आते हैं, लेकिन संकट के इस दौर में ये मचान ग्रामीणों के क्वेरेंटाइन के काम आ रहे हैं। यहां पहुंचे दिहाड़ी मजदूर एक या दो कमरे के घर में रहते हैं। ऐसे में वे अपने घर में क्वेरेंटाइन में नहीं रह सकते हैं, इसलिए उन्हें पेड़ों के मचान में रहना पड़ रहा है। इसके अलावा यहां आईसोलेशन सेंटर भी नहीं है।

इस वजह से भी इस तरह क्वेरेंटाइन करना इन लोगों की मजबूरी है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन की घोषणा के बाद से देशभर के गरीब और दिहाड़ी मजदूर अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही भूखे-प्यासे रुख कर रहे हैं। इनके इस तरह से जाने से गांवों में भी कोरोना वायरस पहुंचने की आशंका बनी हुई है।

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