वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी सरकार लोगों से मास्क लगाने और उचित दूरी बनाए रखने की सलाह दे रही है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना के ‘डेल्टा’ वेरिएंट के लिए केवल वैक्सिनेशन पर्याप्त नहीं है बल्कि साथ में सावधानी भी बहुत आवश्यक है। दिल्ली के दो अस्पातलों में किए गए अध्ययन में पता चला है कि वैक्सीन वायरस के गंभीर प्रभाव से बचाती है लेकिन दोनों डोज लगने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन लेने के बावजूद संक्रमित व्यक्ति से दूसरों तक भी वायरस पहुंच सकता है। यह अध्ययन ने INSACOG कंसोर्टियम, सीएसआईआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने मिलकर की है।
इस रिसर्च में 113 ऐसे केसों को शामिल किया गया जिनको वैक्सीन लगी थी फिर भी संक्रिमित हुए। शोध में शामिल ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी थे। इसमें समाने आया कि जिन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी थीं, उनके माध्यम से भी दूसरे लोग संक्रमित हो गए।
50 फीसदी प्रभावी है कोवैक्सीन?
एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि कोवैक्सीन 50 फीसदी प्रभावी है। यह स्टडी लैंसेट में पब्लिश की गई है। इसमें इस साल अप्रैल और मई में कोरोना के संपर्क में आने वाले AIIMS के स्वास्थ्य कर्मचारियों को शामिल किया गया था। इसी दौरान देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही थी।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान भारत में वायरस के डेल्टा स्वरूप का प्रकोप था और तब कोविड-19 के कुल पुष्ट मामलों में से 80 फीसदी के लिए यही स्वरूप जिम्मेदार था। हैदराबाद की भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे (एनआईवी-आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन का निर्माण किया जिसे 28 दिन के अंतर पर दो खुराक में दिया जाता है।
लांसेट का अध्ययन भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया जिन्हें प्राथमिक रूप से कोवैक्सीन टीका लगाने की पेशकश की गई थी। एम्स, नई दिल्ली में मेडिसिन के एडीशनल प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन इस बारे में एक पूरी तस्वीर दिखाता है कि बीबीवी152 (कोवैक्सीन) इस क्षेत्र में कैसे काम करता है। इस पर भारत में कोविड-19 के मामले बढ़ने की पृष्ठभूमि में और डेल्टा स्वरूप के टीके से बच निकलने की क्षमता को देखते हुए विचार किया जाना चाहिए।’’
एम्स स्थित कोविड टीकाकरण केंद्र में इस साल 16 जनवरी से सभी 23,000 कर्मियों को कोवैक्सीन टीका विशेष रूप से उपलब्ध करवाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं ने लक्षण वाले सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खिलाफ टीके के प्रभाव का आंकलन किया था। अध्ययन में शामिल 2,714 कर्मचारियों में से 1,617 लोगों को सार्स-सीओवी-2 होने की पुष्टि हुई थी और 1,097 को संक्रमण नहीं होने का पता चला था।
अध्ययन में सामने आया कि कोवैक्सीन टीके की दो खुराक के बाद लक्षण वाले कोविड-19 रोग से 50 प्रतिशत बचाव हुआ, जिसमें आरटी-पीसीआर जांच दूसरी खुराक के 14 या अधिक दिन बाद कराई गई थी। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, सात सप्ताह की फॉलोअप अवधि में दोनों खुराक का प्रभाव बना रहा।
एम्स में मेडिसिन की सहायक प्रोफेसर पारूल कोदान ने कहा, ‘‘अध्ययन के निष्कर्ष पहले के अन्य अध्ययन की पुष्टि करते हैं जिनमें कहा गया था कि सर्वाधिक बचाव पाने के लिए बीबीवी152 की दो खुराक आवश्यक हैं।’’ अध्ययनकर्ताओं ने यह स्वीकार किया कि इस अध्ययन में कोवैक्सीन को जितना प्रभावी पाया गया है वह तीसरे चरण के ट्रायल के हाल में प्रकाशित अनुमान के मुकाबले कम है।