Bloomberg
भारत सरकार ने देश की जनता को कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने की योजना बनाना शुरू कर दिया है। इस काम के लिए सरकार ने करीब 500 अरब रुपए का बजट रखा है। सरकार के अनुमान के मुताबिक देश के एक नागरिक को कोरोना वैक्सीन की डोज देने पर 6-7 डॉलर यानि कि 500 रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। यही वजह है कि सरकार ने 130 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन देने के लिए 7 बिलियन डॉलर यानि कि 500 अरब रुपए का बजट तय किया है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार इस बजट का इंतजाम मौजूदा वित्तीय वर्ष के आखिर में कर देगी, जिसके बाद कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने के काम में फंड की कमी नहीं होगी। सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक रामानन लक्ष्मीनारायण का कहना है कि भारत कोरोना वैक्सीन का बड़ा खरीददार है और साथ ही बड़ा विक्रेता भी। ऐसे में उम्मीद है कि मोलभाव में यह कीमत कम भी हो सकती है।
भारत के पुणे में स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन मैन्युफैक्चरर कंपनी है। बीते दिनों आदर पूनावाला ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत सरकार को देश के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की डोज देने के लिए करीब 800 अरब रुपए की जरुरत होगी। यह पैसा वैक्सीन की खरीद के साथ ही उसे देश के विभिन्न इलाकों में ट्रांसपोर्ट करने में खर्च होगा।
पीजीआई चंडीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर महेश देवनानी का कहना है कि पूरे भारत में कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी कराना चुनौतीपूर्ण काम होगा। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराने के लिए 8000 कार्गो प्लेन उड़ान भरेंगे।
बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक किरन मजूमदार शॉ ने बीते हफ्ते ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम की बैठक में कहा था कि भारत में कोरोना वैक्सीन सभी नागरिकों को उपलब्ध कराने के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोल्ड चेन लॉजिस्टिक की होगी, जिसे कि कम समय में तय जगह पहुंचाना होगा।
सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों के एक पैनल ने दावा किया है कि भारत में कोरोना का पीक गुजर गया है और फरवरी तक देश में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित हो सकता है। हालांकि पैनल ने आगामी त्योहारों के मौसम को लेकर चिंता जाहिर की है और कहा है कि त्योहारों के मौसम में फिर से कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं।