दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है और केन्द्र सरकार से सवाल किया कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम करके उसे वह मरीजों को मुहैया करा सकती है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने केन्द्र सरकार से कहा, ‘‘उद्योग इंतजार कर सकते हैं। मरीज नहीं। मानव जीवन खतरे में है।’’
पीठ ने कहा कि उसने सुना है कि गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को मजबूरी में कोविड-19 के मरीजों को दिया जाने वाला ऑक्सीजन कम करना पड़ रहा है क्योंकि वहां जीवन रक्षक गैस की कमी है। अदालत ने केन्द्र सरकार की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा से सवाल किया, ‘‘ऐसे कौन से उद्योग हैं जिनकी ऑक्सीजन आपूर्ति कम नहीं की जा सकती है।’’ साथ ही पीठ ने अरोड़ा से यह जानकारी देने को भी कहा कि कोविड-19 के मरीजों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए क्या-क्या किया जा सकता है।
यह निर्देश देने के साथ ही अदालत ने कहा कि वह मामले पर भोजनावकाश के बाद सुनवाई करेगी। अदालत 19 अप्रैल को कोविड-19 के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, उसी के संदर्भ में उसने यह निर्देश दिए हैं।
अदालत ने सोमवार को कोरोना जांच करने वाले लैब को भी फटकार लगायी थी। कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि अगर लैब समय पर रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं तो यह अच्छी बात नहीं है। दिल्ली में रोज आने वाले मामलों की संख्या 25 हजार के पार जा रही है। ऐसे में गंभीरता दिखानी होगी।
बताते चलें कि देश भर में ऑक्सीजन की कमी का सामना किया जा रहा है। सिर्फ मध्यप्रदेश में पिछले 13 दिनों में ऑक्सीजन की कमी से 56 मरीजों की मौत हुई है। भोपाल में सोमवार को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में 2 घंटे के अंदर ऑक्सीजन की कमी से 10 मरीजों की मौत हो गयी थी।

