कोरोनावायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान प्रसिद्ध हस्तियों समेत बहुत से लोगों ने पीड़ितों की मदद की। किसी ने राशन देकर तो किसी ने खाना खिलाकर पीड़ितों का पेट भरने की कोशिश की। इस सूची में एक नाम गौतम दास का भी है। गौतम दास कोई सेलिब्रिटी या धनाढ्य नहीं हैं, लेकिन लोगों की मदद करने का जज्बा उन्हें बाकी सब से अलग करता है। 51 साल के गौतम रिक्शा ठेला चलाते हैं।

गौतम का जीवन रोजाना की कमाई पर निर्भर है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बचत दान करने का फैसला किया। वास्तव में इस ठेलेवाले ने अपने जीवन भर की बचत गरीबों को खाने खिलाने में खर्च की। लॉकडाउन के ऐलान के बाद गौतम दास ने जमापूंजी में से दाल-चावल खरीदा और जरूरतमंदों में बांट दिया।

गौतम के इस काम की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की। मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा था, ‘गौतम दास हम सब के लिए एक प्रेरणा हैं।’ त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब भी ऐसे प्रयास को देखकर गौतम दास को सम्मानित कर चुके हैं। बिप्लब कुमार देब ने ट्वीट कर कहा था, ‘त्रिपुरा के गौतम दास से मिलकर मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान लोगों की सेवा करने के लिए अपनी बचत खर्च की है।’

गौतम दास अगरतला के करीब स्थित साधुटीला गांव में एक छोटे से मिट्टी के घर में रहते हैं। कई साल पहले उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। उनके बच्चे उनसे अलग रहते हैं। लॉकडाउन से पहले वह रोजाना करीब 200 रुपए कमा लेते थे। जब उन्होंने अपने आसपास के लोगों को भूखे से तड़पते देखा, तो उनकी मदद करने की सोची। उन्होंने अपनी बचत में से 8000 रुपए का दाल और चावल खरीदा। फिर उन्हें पैक किया और अपने रिक्शे ठेले पर रखकर जरूरतमंदों के बीच बांटा।

गौतम सिर्फ जरूरतमंदों की सेवा करना चाहते थे। उन्हें किसी भी प्रकार की पब्लिसिटी की आवश्यकता नहीं थी। गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैंने अपने जैसे गरीब लोगों को कुछ चावल और दाल दान किया है। मैं खुद एक श्रमिक हूं। इस नाते श्रमिकों और मजदूरों के साथ खड़े होने की कोशिश की है। मैं अपनी ‘छोटी बचत’ से सिर्फ लोगों की मदद करना चाहता था।’

गौतम ने अपनी बचत से 160 से ज्यादा परिवारों को चावल और दाल बांटा। गौतम के प्रयास के बाद त्रिपुरा सरकार ने उनकी आर्थिक रूप से मदद की। इसके अलावा राज्य सरकार ने 12,000 विक्रेताओं की पहचान कर उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से 1,000 रुपये भी दिए।