अप्रैल के महीने में भोपाल जिले में कोविड-19 से 109 लोगों की मौत हुई। यह सरकारी गिनती है। लेकिन, तीन श्मशानों और एक कब्रिस्तान से मिले आंकड़ों के मुताबिक एक से 30 अप्रैल के बीच इन स्थानों पर 109 लोगों के अलावा 2,567 अन्य मृतकों का अंत्येष्टि भी कोविड सुरक्षा नियमों के साथ की गई।

इन चार अंत्येष्टि स्थलों के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में उपर्युक्त मृतकों के अलावा अन्य 1.273 मृतकों का भी अंतिम संस्कार किया गया। इनकी मौत कोविड से नहीं हुई थीं। यह संख्या अप्रैल 2019 से बहुत ज्यादा है। तब इन सब स्थानों में महीने भर में मात्र पांच सौ अंतिम संस्कार हुए थे।भोपाल में मिला सरकारी और मरघट के आंकड़ों में इस फर्क देश के दूसरी जगहों पर भी देखने को मिल रहा है। मृतकों की सरकारी गिनती असल संख्या का छोटा सा अंश भर होती है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 18 से 27 अप्रैल के बीच 23 प्रमुख शवदाहगृहों और कब्रस्तानों में मरने वालं में 3049 कोविड से मरे। लेकिन साथ ही 3909 संदिग्ध कोविड मरीजों अंत्येष्टि भी हुईं।भोपाल में छह शवदाह गृह हैं और चार कब्रिस्तान। इनमें चार को कोविड मृतकों के नाम कर दिया गया है। ये हैं भदभदा विश्राम घाट, सुभाष नगर विश्राम घाट, बैरागढ़ घाट और झाड़ा कब्रस्तान। इनमें बैरागढ़ को 20 तारीख के दिन जोड़ा गया था क्योंकि बाकी दो घाट छोटे पड़ रहे थे।

सरकारें एक तरफ मृतकों की संख्या छिपा रही है तो यूपी सरकार चाहती है कि जलती चिताओं की तस्वीरें मीडिया में न आ पाएं। गोरखपुर जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर है, वहां प्रशासन ने श्मशान स्थल राजघाट को बाहर से प्लास्टिक और कपड़ों के ऊंचे-ऊचे बैनर लगा दिए हैं जिनमें कहा गया है कि चिताओं की फोटो खींचना मना है। इसके लिए धार्मिक मान्यताओं का हवाला भी दिया गया है।

यही नहीं बैनरों में कहा गया है कि न मानने वालों को दंडित भी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले लखनऊ के शवदाह गृह को टीन लगाकर कैमरे की नजर से परे कर दिया गया था। दरअसल, लखनऊ और कानपुर के मुर्दाघाटों से कुछ ऐसी तस्वीरें निकली थीं. जिनमें एक साथ दर्जनों चिताएं जलती दिख रही थीं। ये तस्वीरें बाद में दुनिया के अनेक बड़े अखबारों ने भी छापी थीं।