ऐसा पहले की तुलना में काफी अधिक तेजी से हो रहा है। दुनियाभर के नेता मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता के लिए जुटे हैं, जिसके बीच संगठन ने यह चेतावनी दी है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के मुताबिक, ताजा वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट जलवायु अव्यवस्था का लेखा-जोखा है। हमें महत्त्वाकांक्षी और विश्वसनीय जलवायु कार्रवाई के जरिए इस संकट का हल निकालना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजंसी डब्लूएमओ ने अपनी वार्षिक जलवायु स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि 1990 के दशक की तुलना में पिछले एक दशक में समुद्री स्तर में दोगुनी वृद्धि हुई है और जनवरी 2020 के बाद से इसमें और इजाफा हुआ है।
यह दशक शुरू होने के बाद से, समुद्री स्तर सालाना 5 मिलीमीटर (.2 इंच) की दर से बढ़ रहा है, जबकि 1990 के दशक में यह दर 2.1 मिलीमीटर (.08 इंच) थी। डब्लूएमओ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि रिकॉर्ड के अनुसार पिछले आठ साल सबसे गर्म रहे हैं। डब्ल्यूएमओ के प्रमुख पेटेरी तालस के मुताबिक, बर्फ पिघलने और समुद्र का जल स्तर बढ़ने के मामले में काफी कुछ हाथ से निकल चुका है। अभी तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर गर्मी और समुद्री जलस्तर में वृद्धि बदतर रूप अख्तियार करती जा रही है और ऐसा पहले की तुलना में काफी अधिक तेजी से हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच बीते साल की कवायद गौरतलब है। पिछले साल ग्लासगो में हुई क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस यानी सीओपी26 के दौरान वैश्विक नेता इकट्ठा हुए थे और जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए उठाए जाने वाले कÞदमों पर सहमत हुए थे। लेकिन साल 2022 में इस दिशा में प्रगति धीमी रही है और दुनियाभर में सरकारों का ध्यान वैश्विक ऊर्जा और वित्तीय संकट की वजह से इस तरफ से हटा है।
पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि दुनिया बर्बादी की तरफ बढ़ रही है, लेकिन कुछ उम्मीदें भी हैं- जिनमें अमेरिका में लाया गया नया कानून और ब्राजील में हुआ सत्ता परिवर्तन शामिल है। ये उम्मीद की जा रही है कि ब्राजील की नई सरकार अमेजन के जंगलों को हो रहे नुकसान की भरपाई करेगी। अमेरिका ने इस साल कई नए जलवायु कानून पारित किए और इस दिशा में दूसरे देशों की तुलना में आगे निकल गया। एक अधिनियम के तहत अमेरिका में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2030 तक चालीस फीसद तक कम करने का लक्ष्य है।
इस नए विधेयक का मकसद कई बड़े क्षेत्रों जैसे बिजली, परिवहन और उद्योग में अक्षय ऊर्जा (ग्रीन इनर्जी) को पहली पसंद बनाना है। आम लोगों के लिए सबसे बड़ा फायदा इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर कर में कटौती है। जो लोग इलेक्ट्रिक कार खरीदेंगे उन्हें 7500 डालर की छूट दी जाएगी। ऊर्जा संकट के कारण राष्ट्रपति जो बाइडेन को 1.5 करोड़ बैरल तेल का अपना सुरक्षित भंडार बाजार में उतारना पड़ा है। यही नहीं उन्होंने तेल और गैस की खोज के लिए नई ड्रिलिंग लीज (खुदाई करने के ठेके) भी जारी कर दिए हैं।
ब्रिटेन ने सीओपी26 की मेजबानी की थी और कई बड़े वैश्विक वादे हासिल करने में कामयाब हुआ था। ब्रिटेन ने जलवायु परिवर्तन के मामले में अपने नेतृत्व को साबित किया था। लेकिन अब सीओपी27 में ब्रिटेन कमजोर स्थिति में जा रहा है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पहले अन्य प्राथमिकताओं की वजह से सीओपी27 के लिए मिस्र जाने में असमर्थता जताई थी, लेकिन बाद में उन्होंने यू-टर्न ले लिया और सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ का हाल
जलवायु परिवर्तन से निपटने के मामले में यूरोपीय संघ ऐतिहासिक रूप से आगे रहा है, लेकिन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और उससे ऊर्जा आपूर्ति के प्रभावित होने से इस दिशा में ईयू के प्रयास भी कम हुए हैं। नेताओं ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की उम्र सीमा को बढ़ा दिया है और एक अनुमान के मुताबिक इस साल के पहले छह महीनों में ही कार्बन उत्सर्जन दो फीसद तक बढ़ गया है।
यूरोपीय संघ ने जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी योजना के बारे में संयुक्त राष्ट्र को जानकारी भी नहीं दी है। एक नई योजना रीपावर ईयू प्लान का लक्ष्य 2030 में अक्षय ऊर्जा में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी को 40 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद तक करना है।