सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) के तहत देश की नई संसद की इमारत का निर्माण होना है। नए त्रिकोणाकार संसद भवन का 10 दिसंबर को शिलान्यास है और प्रधानमंत्री इसी दौरान इसका भूमि पूजन भी करेंगे। हालांकि, इस आयोजन से पहले ही इस पर विवाद पनप गया है। विपक्ष में कुछ दलों ने इसका खुलकर विरोध किया है, जबकि कुछ ने इस कार्यक्रम में बदलाव करने की सलाह दी हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममत बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC की ओर से इस भूमि पूजन कार्यक्रम का विरोध किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीएमसी ने इस कार्यक्रम को धर्मनिरपेक्षता के विपरीत बताया। इसी बीच, NCP के मजीद मेनन के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया- भूमि पूजन से पहले सभी धर्मों के लोगों की प्रार्थना सभा कराई जानी चाहिए।

उधर, Congress की ओर से सीनियर नेता राशिद अल्वी ने पत्रकारों को बताया, “भूमि पूजन किया जा रहा है, तब उसमें गैर-धर्म के लोगों और नेताओं को बुलाया जाना चाहिए। मैं इस बात की गुजारिश करता हूं, ताकि मुल्क में रहने वाले हर आदमी को नई संसद की इमारत से अपने जुड़ावा या फिर लगाव का अहसास हो सके।” 

इसी बीच, उच्चतम न्यायालय ने सरकार की ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम ना करने का आश्वासन मिलने के बाद केन्द्र को इसकी आधारशिला रखने का कार्यक्रम आयोजित करने की सोमवार को मंजूरी दी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली एक पीठ को कहा कि केवल आधारशिला रखने का कार्यक्रम किया जाएगा, वहां कोई निर्माण कार्य, इमारतों को गिराने या पेड़ कांटने जैसा कोई काम नहीं होगा।

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। साझा केन्द्रीय सचिवालय के 2024 तक बनने का अनुमान है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पांच दिसम्बर को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10 दिसम्बर को नए संसद भवन की आधारशिला रखेंगे। इसका निर्माण कार्य 2022 तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 971 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है।

याचिकाएं भूमि उपयोग बदलाव सहित विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की गई हैं। ये सभी अभी शीर्ष अदालत में विचाराधीन हैं। मामले में सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई सुनवाई में पीठ ने मेहता को परियोजना के निर्माण को लेकर सरकार के विचारों की जानकारी देने के लिए पांच मिनट का समय दिया।

उच्चतम न्यायालय ने पांच नवम्बर को उन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी, जिनमें केन्द्र की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना पर सवाल उठाए गए हैं। यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पहले शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि परियोजना से उस ‘‘धन की बचत’’ होगी, जिसका भुगतान राष्ट्रीय राजधानी में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों के लिए किराये पर घर लेने के लिए किया जाता है।

मेहता ने यह भी कहा था कि नए संसद भवन का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया और परियोजन के लिए किसी भी तरह से किसी भी नियम या कानून का कोई उल्लंघन नहीं किया गया।

केन्द्र ने यह भी कहा था कि परियोजना के लिए सलाहकार का चयन करने में कोई मनमानी या पक्षपात नहीं किया गया और इस दलील के आधार पर परियोजना को रद्द नहीं किया जा सकता कि सरकार इसके लिए बेहतर प्रक्रिया अपना सकती थी।

गुजरात स्थित आर्किटेक्चर कम्पनी ‘एचसीपी डिज़ाइन्स’ ने ‘सेंट्रल विस्टा’ के पुनर्विकास के लिए परियोजना के लिए परामर्शी बोली जीती है। कोर्ट इस मुद्दे पर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें से एक याचिका कार्यकर्ता राजीव सूरी ने परियोजना को भूमि उपयोग बदलाव सहित विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की है।

क्या होगा नए भवन में खास?

– नई संसद की इमारत भूकंप-रोधी होगी
– 64,500 वर्ग मीटर में बनाई जाएगी
– पुरानी संसद से यह 17,000 वर्ग मीटर अधिक
– ठेका- टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है
– LS सदस्यों के लिए लगभग 888 सीटें रहेंगी
– RS सदस्यों के लिए 326 से अधिक सीटें रहेंगी
– LS हॉल में एक वक्त पर 1,224 मेंबर्स बैठ पाएंगे
– 971 करोड़ रुपए की लागत आएगी। (भाषा इनपुट्स के साथ)