Constitution Preamble Amendment: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर संविधान की प्रस्तावना में हुए बदलाव पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा था कि आपातकाल के दौरान संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द जोड़े गए। अब इन्हें हटाने पर विचार करना होगा। RSS नेता के इस बयान पर विवाद खड़ा हो रहा था लेकिन अब मोदी सरकार के दो-दो मंत्री इस बयान के समर्थन में आ गए हैं।

मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान ने दत्तात्रेय होसबोले के बयान का समर्थन किया है। इसके अलावा मोदी सरकार में मंत्री ने डॉ जितेंद्र सिंह ने भी RSS नेता के इस विचार को सही बताया है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि RSS नेता के सुझाव पर बीजेपी ने कोई टिप्पणी नहीं की है।

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शिवराज सिंह चौहान ने क्या कहा?

दरअसल, शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय ने वाराणसी में मंत्री के दिए गए बयान का वीडियो शेयर किया। इसमें उन्होंने कहा कि सर्व धर्म समभाव भारतीय संस्कृति का मूल है। धर्म निर्पेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जिस धर्म निर्पेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटा दिया जाए। उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति का मूल सर्वधर्म समभाव है, न कि धर्म निरपेक्षता। इसलिए आपातकाल के दौरान जोड़े गए धर्म निरपेक्ष शब्द को हटाने पर चर्चा होनी चाहिए।”

समाजवाद पर शिवराज ने कहा कि सभी को अपने जैसा मानना ​​भारतीय मूल विचार है। उन्होंने कहा कि यह विश्व एक परिवार है। यही भारत का मूल विचार है। उन्होंने कहा, “यहां समाजवाद की कोई जरूरत नहीं है। हम लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि सभी के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। इसलिए समाजवाद शब्द की भी जरूरत नहीं है और देश को निश्चित रूप से इस बारे में सोचना चाहिए।”

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जितेंद्र सिंह ने भी किया होसबोले का समर्थन

मोदी सरकार में ही राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जम्मू में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि होसबोले की टिप्पणी पर कोई दूसरा विचार किया गया है। उन्होंने कहा, “होसबोले ने कहा है कि धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द 42वें संशोधन के बाद हमारी प्रस्तावना में जोड़े गए क्योंकि ये बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा नहीं दिए गए थे।” डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संविधानों में से एक का निर्माण किए जाने की ओर इशारा करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा, “यदि यह उनकी सोच नहीं थी, तो फिर किसी ने किस सोच के साथ इन शब्दों को जोड़ा था।”

इसके अलावा जब उनसे पूछा गया कि क्या बीजेपी धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी शब्दों को हटाने की मांग का समर्थन करती है। इसको लेकर कहा जितेंद्र सिंह ने कहा, “कौन नहीं करना चाहता? हर सही सोच वाला नागरिक इसका समर्थन करेगा क्योंकि हर कोई जानता है कि वे मूल संविधान दस्तावेज़ का हिस्सा नहीं हैं, जिसे डॉ अंबेडकर और समिति के बाकी सदस्यों ने लिखा था।”

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कांग्रेस पर बोला हमला

जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह बीजेपी बनाम नॉन-बीजेपी का सवाल नहीं है, यह लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण का सवाल है। उन्होंने कहा कि आपातकाल कोई अचानक किया गया परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह कांग्रेस की वैचारिक बुनियाद का परिणाम था। उन्होंने कांग्रेस पर भाई-भतीजावाद, अधिनायकवाद और अवसरवाद में डूबे रहने तथा हमेशा अपने हितों को देश के हितों से ऊपर रखने का आरोप लगाया।

राहुल ने बोला RSS पर हमला

वहीं आरएसएस नेता होसबोले की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस का मुखौटा फिर से उतर गया है और संविधान उन्हें परेशान करता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस-बीजेपी गठबंधन मनुस्मृति चाहता है और हाशिए पर पड़े लोगों और गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित करना चाहता है। उनका असली एजेंडा संविधान जैसे शक्तिशाली हथियार को उनसे छीनना है।

बीजेपी और उसके सहयोगियों ने क्या कहा?

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पिछले सात दशकों में संविधान और उसकी भावना से छेड़छाड़ करने के हर कृत्य के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उसे आपातकाल के लिए माफी मांगनी चाहिए।

इसके अलावा केंद्र के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल LJP एनडीए की एकमात्र सहयोगी पार्टी थी जिसने होसबोले की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी। लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एके बाजपेयी ने कहा कि अगर यह मुद्दा गठबंधन के सामने लाया जाता है, तो हम इसका विरोध करेंगे। हम समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के रक्षक हैं।

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