किरण पाराशर
Karnataka BJP MLA Sharanu Salagar: कर्नाटक के भाजपा विधायक शरणु सालागर को कांग्रेस कार्यकर्ता से कट्टर हिंदुत्व समर्थक के तौर पर जाना जाता है। शरणु सालागर बीदर जिले की बसवकल्याण विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सालागर हाल ही में उस वक्त चर्चा में आए जब उन्होंने अपने समर्थकों के साथ 1 जुलाई को बकरीद के दिन एक मुस्लिम परिवार के घर में घुसकर आरोप लगाया था कि वहां जानवरों की कुर्बानी दी जा रही है।
इसके बाद पेशे से इलेक्ट्रीशियन 27 साल के पीड़ित मेहराज ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक, जब मेहराज अपने परिवार के साथ बकरीद मना रहे थे, तो सालागर और उनके 15-25 समर्थक यह दावा करते हुए उनके घर में घुस आए कि वे जानवरों का कत्ल कर रहे हैं। शुरुआत में विधायक ने दावा किया था कि गाय की हत्या की जा रही है।
मेहराज ने अपनी शिकायत में विधायक के हवाले से कहा था कि उन्होंने कथित तौर पर उनसे कहा था कि “मुसलमान सभी घरों पर कब्जा कर रहे हैं। वे हिंदुओं को जीने नहीं देंगे। वे बहुत ज़्यादा ड्रामा कर रहे हैं। हम उन्हें सबक सिखाएंगे।”
हालांकि, जब मेहराज और उनके पड़ोसियों ने शक दूर करने की कोशिश की तो विधायक ने शिकायत करने वाले के परिवार की महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव किया और धमकी दी कि वह उन्हें सबक सिखाएंगे। मेहराज के पड़ोसियों का कहना था कि हो सकता है कि विधायक को कोई गलत सूचना मिली होगी। मामले को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की भी लोगों ने आलोचना की।
मेहराज की शिकायत के बाद बसवकल्याण पुलिस ने विधायक सालागर और उनके समर्थकों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इस बीच घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वीडियो वायरल होने के बाद ही पुलिस हरकत में आई थी। मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर राजनीति की शुरुआत भी हो गई थी। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस मामले में भाजपा विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
प्राथमिक स्कूल में शिक्षक के रूप में शुरू किया करियर
शरणु सालागर के राजनीति में एंट्री की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 2002 में एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में शुरू की थी। भाजपा विधायक सालागर बीदर जिले के कमलापुर तालुक के वीके सालागर गांव के रहने वाले हैं। जिले के भाजपा नेताओं का कहना है कि उनके नेटवर्किंग कौशल और अच्छी छवि ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने में मदद की।
कांग्रेस से राजनीति में एंट्री, टिकट न मिलने पर बदला रास्ता
बीजेपी विधायक शरणु सालागर की पहली राजनीतिक पारी पर्दे के पीछे शुरू हुई थी, जब उन्होंने किसानों के साथ बसवकल्याण विधायक रेवू नाइक बेलामगी के निजी सहायक (PA) के रूप में काम करना होगा। इसके बाद सालागर ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री धरम सिंह के बेटे अजय सिंह के पीए के रूप में भी काम किया, जो वर्तमान में जेवार्गी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये दोनों नेता कांग्रेस से हैं। सालागर एक कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस में बने रहे। साल 2016 में जब उन्हें जिला पंचायत का चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया।
2021 में पहली बार बने विधायक
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कलबुर्गी ग्रामीण भाजपा विधायक बसवराज मत्तीमुडु के समर्थन के कारण वह भाजपा में तेजी से उभरे। सालागर 2021 में पहली बार बसवकल्याण में उपचुनाव जीतकर विधायक बने, जो कांग्रेस विधायक बी नारायणराव के कोविड-19 के कारण निधन के कारण खाली हुई थी, लेकिन इस जीत का श्रेय भी सालागर को ही जाता है, क्योकिं 2008 के बाद में बीजेपी ने पहली बार बसवकल्याण सीट पर जीत दर्ज की थी। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि सलागर को कोई उम्मीद नहीं थी कि वह विधायक बनेंगे, लेकिन उन्हें वीरशैव लिंगायत समुदाय से होने का फायदा मिला।
सालागर 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के विजय सिंह के खिलाफ 14,415 वोटों से जीतकर अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे। जिसको एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा गया, क्योंकि धरम सिंह के पुत्र है विजय सिंह।
2022 के बाद कट्टर हिंदुत्व के रूप में सामने आए सालागर
स्थानीय नेताओं का कहना है कि सालागर को 2022 तक कट्टर हिंदुत्व का रुख अपनाने के लिए नहीं जाना जाता था, लेकिन उस साल जून में उन्होंने एक आंदोलन का नेतृत्व किया था। जिसमें दावा किया गया कि बसवकल्याण में पीर पाशा दरगाह का निर्माण अनुभव मंतपा पर किया गया था, जिसे दुनिया की पहली धार्मिक संसद माना जाता है। उन्होंने एक सर्वेक्षण की मांग की, लेकिन पंचमशाली लिंगायतों के आरक्षण आंदोलन के सुर्खियों में आने के बाद यह ख़त्म हो गया।
विधानसभा चुनाव से पहले सालागर की एक तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें उन्होंने कथित तौर पर रामनवमी के अवसर पर भगवान राम की मूर्ति पर माला चढ़ाते समय पैर रख दिया था। जिसके बाद सालागर ने एक बयान जारी कर कहा था कि वो कट्टर हिंदुत्व समर्थक हैं।
एक मुस्लिम निवासी के घर में उनके घुसने को लेकर ताजा विवाद पर भाजपा सूत्रों ने कहा कि सालागर का कदम राज्य पार्टी के नेतृत्व का ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका हो सकता है। एक सूत्र ने कहा कि विपक्ष के नेता की घोषणा नहीं होने के कारण, कुछ विधायक आलाकमान को मनाने के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से अधिकतर कोशिश लिंगायत विधायक कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि लिंगायत समुदाय से कोई व्यक्ति कर्नाटक में पार्टी का नेतृत्व करेगा। सालागर पार्टी में आगे बढ़ने की कोशिश निरंतर कोशिश कर रहे हैं।