कांग्रेस ने बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाया है। लेकिन कर्नाटक में उसका दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को मालुर विधानसभा क्षेत्र (जिसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस विधायक के वाई नानजेगौड़ा करते हैं) के 2023 के विधानसभा चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया। कोर्ट ने मतगणना प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर फिर से काउंटिंग का आदेश दिया। लगभग दो साल की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता भाजपा के के एस मंजूनाथ गौड़ा के पक्ष में फैसला सुनाया। बीजेपी उम्मीदवार मई 2023 के चुनाव में कांग्रेस विधायक नानजेगौड़ा से केवल 248 मतों से हार गए थे।

कांग्रेस विधायक के पास अब क्या रास्ता बचा?

हाई कोर्ट ने अपने आदेश को अगले 30 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। ऐसे में नानजेगौड़ा अब अपील के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। मालुर चुनाव की मतगणना प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए अदालत ने चार हफ्ते के भीतर पुनर्मतगणना का निर्देश दिया है। उस समय, जिला चुनाव अधिकारी कथित तौर पर मतगणना प्रक्रिया के वीडियो प्रस्तुत करने में विफल रहे थे।

2023 में मालुर निर्वाचन क्षेत्र में 1978 में कर्नाटक के राज्य बनने के बाद से सबसे कड़ा मुकाबला देखने को मिला। तब से कांग्रेस मालुर में सबसे सफल पार्टी रही है, जिसने कुल मिलाकर चार बार यह सीट जीती है। भाजपा ने अब तक इसे दो बार और जनता दल (सेक्युलर) ने एक बार जीता है। मालूर सीट अनुसूचित जाति-आरक्षित कोलार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जो दशकों तक कांग्रेस का गढ़ रहा है।

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क्या था 2023 चुनाव परिणाम?

कांग्रेस विधायक नानजेगौड़ा 2023 के चुनाव में मौजूदा कांग्रेस विधायक थे। पार्टी ने उन्हें फिर से भाजपा के मंजूनाथ गौड़ा के खिलाफ मैदान में उतारा था। मंजूनाथ ने 2013 में JD (S) उम्मीदवार के रूप में यह सीट जीती थी। हालांकि 2023 का मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच था। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार हुडी विजयकुमार ने चुनाव में स्थिति बदल दी।

विजयकुमार को 28.48% वोट मिले, जो नानजेगौड़ा के 29.4% वोट शेयर और मंजूनाथ के 29.26% वोटों से थोड़ा कम था। जेडी(एस) उम्मीदवार को केवल 10.17% वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहा। मलूर में हुए हर दूसरे चुनाव में विजयी उम्मीदवार को हमेशा कम से कम 40% वोट मिले थे। निर्दलीय उम्मीदवार के कारण कांग्रेस उम्मीदवार के जीत का अंतर 248 वोटों का था। विजयकुमार खुद नंजेगौड़ा से लगभग 1,600 वोटों से पीछे थे। नंजेगौड़ा का 248 वोटों का जीत का अंतर 2023 के कर्नाटक चुनावों में चौथा सबसे कम अंतर था।

बीजेपी उम्मीदवार पहुंचे थे हाई कोर्ट

चुनाव परिणाम घोषित होने के एक हफ्ते से भी कम समय बाद मंजूनाथ ने मालूर में पुनर्मतगणना की मांग करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया। उस समय मंजूनाथ ने कहा था, “मतगणना अधिकारियों ने मुझे फोन किया और बताया कि मैं चुनाव जीत गया हूं। लेकिन बाद में यह घोषणा की गई कि कांग्रेस उम्मीदवार 248 वोटों के अंतर से जीता है। इसलिए, मैंने अदालत का रुख किया है और डाले गए वोटों की पुनर्मतगणना की मांग की है।”

हाई कोर्ट का आदेश नंजेगौड़ा के लिए एक झटका है, क्योंकि भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में वोट चुराए हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार नंजेगौड़ा डेयरी ब्रांड नंदिनी के मालिक कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के अगले अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं। हालांकि अगर पुनर्गणना के नतीजे मंजूनाथ के पक्ष में जाते हैं, तो अब उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है।

बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाया वोट चोरी का आरोप

यह घटनाक्रम कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ अभियान के बीच सामने आया है, जिसके ज़रिए वह देश भर में विभिन्न कथित चुनावी अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) और भाजपा पर निशाना साध रही है। हाई कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के विपक्ष के नेता (LoP) आर अशोक ने इसे कांग्रेस की राजनीति पर सीधा आरोप बताया। उन्होंने पूछा कि क्या राहुल गांधी अब नंजेगौड़ा के खिलाफ वोट चोरी यात्रा शुरू करेंगे। अशोक ने कांग्रेस पर वोट चोरी में लिप्त होने का आरोप लगाया।