मोदी सरकार की नीतियों को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने अपने दो ट्वीट के जरिए निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले कांग्रेस की जिन नीतियों को नकार रही थी, आज उसी नीतियों को अपना रही है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा को आखिर में देशहित में कांग्रेस की नीतियों को मानना पड़ेगा।

दिग्विजय सिंह ने लिखा, “धन्यवाद मोदी जी व जयशंकर जी जो आपने पं जवाहरलाल नेहरू जी की निर्गुट विदेश नीति को अपनाया जिसका सदैव भारतीय जनसंघ ने विरोध किया था। भाजपा चाहे ना चाहे अंत में उसे, देश हित में सारी कांग्रेस नीतियों को अपनाना पड़ेगा जिनका वे विरोध करते रहे हैं।”

वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, “चाहे जीएसटी हो चाहे मनरेगा, मोदी जी इन नीतियों का विरोध करते रहे लेकिन अब उनका श्रेय ले रहे हैं। मोदी जी कांग्रेस मॉडल यानि कि गांधी नेहरू विचारधारा ही देश को प्रगति के पथ पर ले जा सकता है। प्रेम सद्भाव ही सनातन हिंदू धर्म है ना कि “हिंदुत्व”।”

दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट पर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। सोनू सिंह(@TmuSonu) नाम के एक यूजर ने लिखा, “आप पीछे क्यों है? जनता के बीच क्यों नहीं जाते?” वहीं एक और यूजर(@Daya88476) ने लिखा, “गांधी – नेहरू मॉडल, यह देश वीर शिवाजी के मॉडल पर चलना चाह रहा है।”

एक और यूजर(@PSTBharat) ने लिखा, “मनरेगा तो कांग्रेस की विफलता की गाथा है, इसको जारी रखा गया है पर सार्थक तरीके से, अब घर बैठे पैसा नहीं बांटा जाता और जीएसटी का जितना विरोध कांग्रेस ने किया वो सबको याद है। अब हिन्दू और हिन्दुत्व अलग अलग हैं, ये ग्यान आपसे लें, इतने बुरे दिन हिन्दुओं के नहीं आए.. जय श्री राम।”

विनोद मीणा(@Vinod_Meena_JNU) ने लिखा, “बीजेपी राज में हिन्दू, मुस्लिम और गाय गोबर के अलावा और मुद्दा ही नहीं है। जनता की भावनाओं के साथ खेलकर बीजेपी देश तोड़ने का काम कर रही है।”

क्या है निर्गुट देशों का संगठन: बता दें कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन विकासशील राष्ट्रों की एक अंतराराष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन 1961 में किया गया था। इसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार शिरकत की थी। हालांकि तब से भारत के कई प्रधानमंत्रियों ने इसमें भाग लिया। लेकिन पहली बार 2016 में पीएम मोदी ने इससे किनारा किया था।

इस सम्मेलन में 2016 में पीएम मोदी का शामिल ना होना, भारत की विदेश नीति में बदलाव के तौर पर देखा गया। हालांकि मई 2020 में जब यह सम्मेलन फिर से आयोजित हुआ तो पीएम मोदी ने इसमें भाग लिया।

बता दें कि शुरुआत में इस संस्था में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के आपसी शीतयुद्ध से दूर रहने मंशा वाले देश इसके सदस्य थे। NAM विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मंच है। अभी इसमें संगठन के 120 सदस्य और 17 पर्यवेक्षक देश हैं।