Cheetah Project: प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर शनिवार (17 सितंबर, 2022) को मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा गया। जिसको लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को एक ट्वीट करते हुए कहा था कि 2008-09 में मनमोहन सिंह ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बता दें, 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से तत्कालीन वन और पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की तस्वीर के साथ एक ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा, ‘प्रोजेक्ट चीता’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। ट्वीट में आगे लिखा गया, ‘अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे’।

जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए एक ट्वीट में लिखा, ‘पीएम शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25.04.2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का ज़िक्र तक न होना इसका ताजा उदाहरण है। आज पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान भटकाने का प्रयास है।’

एक अन्य ट्वीट में जयराम रमेश ने लिखा कि 2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया, तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे। वे गलत साबित हुए। चीता प्रोजेक्ट पर भी उसी तरह की भविष्यवाणीयां की जा रही हैं। इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं। मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं!

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने ट्विटर पर एक लेख साझा किया, जो उन्होंने कुछ सप्ताह पहले लिखा था कि चीतों के भारत में आगमन की घटना क्यों और कैसे संभव हुई। अपने लेख में रमेश ने केपटाउन में चीता आउटरीच सेंटर की अपनी यात्रा और उस समय के कार्यक्रम के तहत प्रयासों के बारे में बात की। जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में कहा, ‘चूंकि चीता आज नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क पहुंचे हैं, मैंने 30 जुलाई के इकोनॉमिक टाइम्स में लिखा, जो इस बात का इतिहास बताता है कि आज की घटना क्यों और कैसे संभव हुई।”