प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर शनिवार को अफ़्रीकी देश नामीबिया से आठ चीते भारत लाये गए। इन सभी चीतों की उम्र 4 से 6 वर्ष के बीच है। पांच चीते मादा हैं जबकि तीन चीते नर हैं। इन चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया। इस दौरान पीएम मोदी और एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहें।
चीता का देश में एक प्राचीन इतिहास है। माना जाता है कि ‘चीता’ नाम की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रक से हुई है, जिसका अर्थ है ‘चित्तीदार’। भारत में चीतों की आबादी काफी व्यापक हुआ करती थी। यह जानवर जयपुर से होते हुए उत्तर में लखनऊ से लेकर दक्षिण में मैसूर तक और पश्चिम में काठियावाड़ से पूर्व में देवगढ़ तक पाया जाता था।
महाराजा रामानुज प्रताप ने आखिरी चीते का किया शिकार
माना जाता है कि चीता 1947 में भारतीय परिदृश्य से गायब हो गया था जब कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने शिकार किया और भारत में अंतिम तीन एशियाई चीतों को गोली मार दी। 1952 में भारत सरकार द्वारा चीता को आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से भारत में चीते आ गए हैं।
इन 14 देशों में चीता हुआ विलुप्त
चीता के विलुप्त होने का एक प्रमुख कारण इसका अत्यधिक शिकार भी था। इसके साथ ही आजादी से पहले के दशकों के साथ-साथ उसके बाद के दशकों के दौरान कृषि पर भारत के जोर के कारण भी चीतों की संख्या में गिरावट आई। 1940 के दशक से चीता 14 अन्य देशों में भी विलुप्त हो गया। इन देशों में जॉर्डन, इराक, इज़राइल, मोरक्को, सीरिया, ओमान, ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, जिबूती, घाना, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल है।
चीता लाने के पीछे का उद्देश्य न केवल भारत के ‘ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन’ को बहाल करना है, बल्कि एक चीता मेटापापुलेशन विकसित करना भी है जो पशु के वैश्विक संरक्षण में मदद करेगा।
माना जाता है कि चीता दक्षिण अफ्रीका में उत्पन्न हुआ था और भूमि संपर्क के माध्यम से दुनिया भर में फैल गया था। कालाहारी में, चीता कभी शिकार और शिकार के कारण गंभीर रूप से संकट में था। लेकिन अब स्वस्थ मादा चीता पांच से छह शावक पैदा कर रही है। दक्षिण अफ्रीका में तेजी से चीता की आबादी बढ़ रही है और जगह कम पड़ रही है।