2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक दल कमर कसते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी मैदान में उतरने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस असम में भाजपा से मुक़ाबला करने के लिए एक गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटी दिखाई दे रही है। 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने भाजपा विरोधी 10 दलों का गठबंधन किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने नौ दलों को एक बार फिर साथ लाने का प्रयास किया है। 2021 के गठबंधन से यह किस तरह अलग है और कौन से दो बड़े दल इस बार कांग्रेस के साथ नहीं होंगे, आइए समझते हैं।

विधानसभा चुनाव 2021 में क्या थी गठबंधन की शक्ल

कांग्रेस ने 2021 में असम विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ पूरी तैयारी करते हुए दस संगठनों को अपने साथ जोड़ा था लेकिन इसके परिणाम बहुत ज्यादा बेहतर नहीं आए थे। इस गठबंधन में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF), CPI, CPI (M), CPI (ML), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आंचलिक गण मोर्चा, और समुदाय आधारित पार्टियाँ जिमोचयन (देवरी) पीपुल्स पार्टी और आदिवासी राष्ट्रीय पार्टी शामिल थे।

अब क्या है कांग्रेस की योजना

इस बार कांग्रेस ने खास तौर पर असम में भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए एक अलग योजना बनाई है। पार्टी ने नौ अन्य दलों को एक बार फिर साथ ला दिया है। लेकिन कांग्रेस का यह नया गठबंधन 2021 के गठबंधन से अलग है। इस बार कांग्रेस के साथ दो बड़े दल नहीं दिखाई दे रहे हैं। एक ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) और दूसरा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF), यह दोनों ही दल असम के काफी प्रभावशाली दल माने जाते हैं।

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क्यों साथ नहीं हैं यह दोनों दल?

भाजपा का पूर्व सहयोगी दल बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) बाद से ही इस गठबंधन से अलग हो गया था। इसके अलावा ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) का पिछले कुछ वक़्त में कांग्रेस के साथ संबंध बेहतर नहीं रहा है।

पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इस साल की शुरुआत में एआईयूडीएफ नेता बदरुद्दीन अजमल को “बीजेपी के मुखपत्र” के रूप में निंदा करते हुए कहा कि अजमल का यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) से कोई लेना-देना नहीं है। असम कांग्रेस के नेता भी बदरुद्दीन अजमल और उनकी पार्टी को लेकर साफ तौर पर कहते हैं कि उनका इस दल से कोई संबंध नहीं है।