भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा में दिए गए विवादित बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार (28 नवंबर, 2019) को कहा कि यह देश के संसद के इतिहास में एक दुखद दिन है। उन्होंने प्रज्ञा की विवादित टिप्पणी का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त बताया। यह भारत के संसद के इतिहास का एक दुखद दिन है।’ प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर हिंदी न्यूज चैनल आजतक की एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने बुधवार शाम ट्वीट कर कहा, ‘प्रज्ञा ठाकुर की सोच इस देश के लिए खतरनाक है। नाथूराम गोडसे जो गांधी जी का हत्यारा है, उसे देशभक्त बताया हैय़ सदन के अंदर ऐसा घिनौना बयान… शर्मनाक ऐसे लोगों को तुरंत बाहर करना चाहिए। भाजपा में कैसे-कैसे नेता हैं। स्तंभकार और लेखक तवलीन सिंह ने भी साध्वी के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर पूछा, ‘भाजपा प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा और लोकसभा से कब बाहर करने जा रही है?’
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दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी के नेता के विवादित बयान पर चौतरफा घिरी भाजपा नीत केंद्र सरकार ने सफाई दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहे जाने की बात तो दूर, देशभक्त मानने की सोच की भी हमारी पार्टी निंदा करती है। महात्मा गांधी हमारे लिए आदर्श हैं, वो पहले भी हमारे मार्गदर्शक थे और भविष्य में भी रहेंगे। उनकी विचारधारा उस समय भी प्रासंगिक थी और आज भी प्रासंगिक है।’
प्रज्ञा ने बुधवार को लोकसभा में एसपीजी संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान उस वक्त विवादित टिप्पणी की थी जब द्रमुक सदस्य ए राजा बोल रहे थे। बाद में प्रज्ञा की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।
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प्रज्ञा ठाकुर की टिप्पणी पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी ने वो सबकुछ कहा जो इस मुद्दे पर कहा जाना चाहिेए था।’
बता दें कि सदन की कार्यवाही आरंभ होने के बाद सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रज्ञा के विवादित बयान का मुद्दा उठाया और कहा कि यह सदन इस तरह के बयानों की अनुमति कैसे दे सकता है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है और ऐसी स्थिति में इस पर सदन के भीतर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। (भाषा इनपुट सहित)