कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में सिंधिया के चचेरे भाई प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने कहा था कि ज्योतिरादित्य महीनों की कोशिश के बावजूद राहुल और सोनिया गांधी से मिलना चाहते थे। लेकिन उन्हें इसके लिए अपॉइंटमेंट नहीं मिला। अगर वे हमें सुनना नहीं चाहते थे, तो पार्टी में लाए क्यों। इसी के जवाब में राहुल ने कहा कि कांग्रेस में सिंधिया इकलौते व्यक्ति थे, जो मेरे घर कभी भी आ-जा सकते थे।
सिंधिया के करीबी माने जाने वाले देबबर्मा खुद भी त्रिपुरा कांग्रेस के प्रमुख रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय में उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली। वे खुद भी शाही परिवार से आते हैं और उनका जुड़ाव सिंधिया परिवार से है। मंगलवार को उन्होंने फेसबुक पोस्ट पर लिखा था, “मैंने देर रात ज्योतिरादित्य से बात की। उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने राहुल से मिलने का इंतजार किया और करते ही रहे, लेकिन उन्होंने (राहुल ने) हमारे किसी नेता को अपॉइंटमेंट नहीं दिया।”
बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार दोपहर को गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने ट्विटर पर इस्तीफा साझा करते हुए लिखा था कि उनके लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है, क्योंकि इस पार्टी में रहते हुए वे देश के लोगों की सेवा करने में सक्षम नहीं हैं। इसके बाद कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया था।
राहुल के अच्छे दोस्त माने जाते हैं सिंधियाः सिंधिया और राहुल काफी अच्छे दोस्त माने जाते हैं। दोनों ने तीसरी पीढ़ी के नेता के तौर पर कांग्रेस की लीडरशिप संभाली। दोनों ने बचपन में साथ में दून स्कूल में पढ़ाई की थी। इसी दौरान दोनों की दोस्ती हुई। राहुल के पिता राजीव गांधी और ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया भी गहरे दोस्त रहे थे। माना जाता है कि जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस के जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान मची थी, तब राहुल ने ही सिंधिया को कमलनाथ के समर्थन के लिए मनाया था।