कांग्रेस के लिए उस वक्त शर्मिंदगी और असहज स्थिति पैदा हो गई जब उसी के मुखपत्र ने जवाहरलाल नेहरू की चीन नीति पर सवाल खड़े किए और सोनिया गांधी के पिता को ‘फासीवादी सैनिक’ करार दिया। इस मामले को लेकर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष संजय निरुपम ने माफी मांगी और संपादकीय प्रभारी को बर्खास्त कर दिया गया। पार्टी की मुंबई इकाई के मुखपत्र ‘कांग्रेस दर्शन’ में छपे दो लेखों में से एक में ‘कश्मीर, चीन और तिब्बत संबंधी मसलों’ के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है
तो दूसरे लेख में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के माता-पिता को लेकर विवादास्पद टिप्पणियां की गई हैं। अजीबोगरीब बात यह है कि इस बार के अंक का मुख्य केंद्रबिंदु सोनिया द्वारा पार्टी को दी गई सेवाओं और कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से उनकी उपलब्धियों को लेकर था। पत्रिका के कवर पर सोनिया गांधी की तस्वीर भी है। इन दोनों लेखों के छपने के बाद कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा हो गर्ई। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष निरुपम ने माफी मांगी और पत्रिका के संपादकीय प्रभारी सुधीर जोशी को बर्खास्त कर दिया।
पत्रिका का एक लेख देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के मकसद से छपा है जिसमें नेहरू और पटेल के बीच के ‘तनावपूर्ण’ संबंधों का हवाला दिया गया है। लेख में 1950 में कथित तौर पर पटेल के लिखे एक पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने तिब्बत को लेकर चीन की नीति के खिलाफ नेहरू को आगाह करते हुए चीन को ‘एक विश्वासघाती और भविष्य में भारत का दुश्मन बताया था।’
इसके मुताबिक, ‘अगर वह (नेहरू) पटेल की बात सुनते तो आज कश्मीर, चीन, तिब्बत और नेपाल की समस्याएं नहीं होतीं। पटेल ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने के नेहरू के कदम का भी विरोध किया था और नेहरू नेपाल पर पटेल के विचारों से सहमत नहीं थे।’
कांग्रेस अध्यक्ष पर केंद्रित एक अन्य लेख में सोनिया के शुरुआती जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें सोनिया की ‘एअरहोस्टेस बनने की महत्वाकांक्षा’ के बारे में बात की गई है और साथ ही दावा किया गया है कि उनके पिता विश्व युद्ध में रूस से हारने वाले इतालवी बलों के सदस्य थे। इसमें कहा गया है, ‘सोनिया गांधी के पिता स्टेफनो मायनो एक पूर्व फासीवादी सैनिक थे।’ लेख में कहा गया है, ‘सोनिया गांधी ने 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य के तौर पर पंजीकरण कराया और वह 62 दिनों में पार्टी की अध्यक्ष बन गई’। उन्होंने सरकार गठित करने की भी असफल कोशिश की।’
मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति (एमआरसीसी) के प्रमुख और मुखपत्र के संपादक निरुपम ने शुरू में इन लेखों से खुद को लग कर लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी ‘गलती’ स्वीकारी। उन्होंने कहा, ‘मैं लेख से सहमत नहीं हूं। लगता है कि इसे कहीं से मंगाया गया है, लेकिन मैं नहीं जानता कि लेखक कौन हैं।’
निरुपम ने कहा, ‘मैं गलती स्वीकार करता हूं। गलती करने वाले संपादकीय विभाग के खिलाफ जांच की जाएगी। इस प्रकार की गलती दोबारा नहीं हो, हम इसके लिए कदम उठाएंगे।’ कांग्रेस के सियासी जख्मों को कुदेरते हुए केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने निरुपम को ‘बधाई’ दी और कहा कि निरुपम इस तरह के लेखों के लिए जाने जाते थे, जब वह शिवसेना के मुखपत्र के हिंदी संस्करण ‘दोपहर का सामना’ के संपादक हुआ करते थे।
जावड़ेकर ने कहा, ‘कांग्रेस के जिस मुखपत्र का नाम ‘कांग्रेस दर्शन’ है उसे ‘सत्यार्थ दर्शन’ कहा जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि यह सब पार्टी के 131वें स्थापना दिवस पर आया है। प्रधानमंत्री बनने को लेकर सरदार पटेल को कांग्रेस में अधिकतम समर्थन हासिल था, लेकिन गांधी जी ने नेहरू का नाम प्रस्तावित किया और पटेल को पीछे छोड़ दिया।’
जावड़ेकर ने कहा, ‘पटेल ने 562 सूबों का भारत में विलय कराया और नेहरू सिर्फ कश्मीर के प्रभारी थे और यह समस्या बनी रही। पटेल ने तिब्बत पर चीन के विश्वासघात को लेकर आगाह किया था। यह भाजपा अथवा जावड़ेकर का कथन नहीं, बल्कि कांग्रेस के मुखपत्र का है। कांग्रेस जिसे छिपा रही थी वो सामने आ गया। मैं संजय निरुपम को बधाई देता हूं।’
उधर, कांग्रेस ने मुंबई में अपने ‘निष्क्रिय’ पड़े इस मुखपत्र से दूरी बना ली। पार्टी प्रवक्ता टाम वडक्कन ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘इस प्रकाशन से हमारा कोई लेना देना नहीं है। यह एक निष्क्रिय पत्रिका है जो फिर से जीवित होने की कोशिश कर रही है। यह हमारा मुखपत्र नहीं है। यह पत्रिका कांग्रेस से जुड़ी हुई नहीं है।’
वडक्कन ने पत्रिका के संपादक को बर्खास्त करने की निरुपम की कार्रवाई से पार्टी को अलग कर लिया और कहा, ‘अपनी निजी हैसियत से उन्होंने जो कुछ किया है यह उनकी जिम्मेदारी है। अपनी व्यक्तिगत हैसियत से वह किसी पत्रिका के संपादक हो सकते हैं और किसी कर्मचारी को रखने या हटाने के बारे में निर्णय कर सकते हैं। पार्टी का इससे कुछ लेना देना नहीं है।
दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं सलमान खुर्शीद और राज बब्बर ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। खुर्शीद ने कहा, ‘ यदि कांग्रेस (की पत्रिका) के लेख में इस प्रकार का कुछ लिखा गया है तो एआइसीसी इस मामले की जांच करेगी।’
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि निरुपम की माफी के बाद यह फैसला एमआरसीसी को करना है कि क्या इस मामले में जांच होनी चाहिए।
‘कांग्रेस दर्शन’ नहीं, ‘सत्यार्थ दर्शन’: भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, कांग्रेस के जिस मुखपत्र का नाम ‘कांग्रेस दर्शन’ है उसे ‘सत्यार्थ दर्शन’ कहा जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि यह सब पार्टी के 131वें स्थापना दिवस पर आया है।
पार्टी ने कहा कुछ लेना-देना नहीं: कांग्रेस प्रवक्ता टाम वडक्कनने कहा, इस प्रकाशन से हमारा कोई लेना देना नहीं है। यह एक निष्क्रिय पत्रिका है जो फिर से जीवित होने की कोशिश कर रही है। यह हमारा मुखपत्र नहीं है। यह पत्रिका कांग्रेस से जुड़ी हुई नहीं है।