राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में पार्टी के कई नेताओं को नहीं बुलाया गया। कुछ नेताओं ने निजी तौर पर आरोप लगाया कि यह कवायद मनमाने तरीके से की गई। कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़, और महाराष्ट्र-झारखंड (जहां वह पार्टी गठबंधन में है) से किसी भी मंत्री को चिंतन शिविर में नहीं बुलाया गया। वहीं, कन्हैया कुमार और विधायक जिग्नेश मेवाणी की मौजूदगी ने कइयों को हैरान किया है।

इस चिंतन शिविर के लिए पार्टी के कई प्रवक्ताओं को भी आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन चिंतन शिविर में कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को देखकर कई लोग हैरान रह गए। ये दोनों नेता में पार्टी में किसी पद की जिम्मेदारी नहीं संभाल रहे हैं। यही वजह थी कि इनकी मौजूदगी ने कइयों को हैरान किया।

हार्दिक पटेल न्योते के बावजूद नहीं पहुंचे

गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी न्योते के बावजूद चिंतन शिविर में नहीं पहुंचे। हार्दिक पटेल पिछले कुछ समय से नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि, अन्य राज्यों के कार्यकारी अध्यक्षों को इस शिविर में आने का न्योता नहीं दिया गया था।

अपने उद्घाटन भाषण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बात को स्वीकार किया कि कई नेता शिविर में आना चाहते थे, लेकिन पार्टी को कई कारणों से भागीदारी सीमित करनी पड़ी। सोनिया गांधी ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि वे इस बात को समझेंगे कि उदयपुर में नहीं होने से किसी भी तरह से संगठन में उनकी भूमिका कम नहीं हो जाती है।

इसके पहले, परिवारवाद का आरोप झेलने वाली पार्टी के चिंतन शिविर में टिकट वितरण को लेकर एक अहम फैसला लिया गया। इसके मुताबिक, एक परिवार के एक ही शख्स को टिकट दिया जाएगा। पार्टी अब ‘एक परिवार-एक टिकट’ की लाइन पर चलेगी। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने हमें बहुत कुछ दिया है, अब वक्त आ गया है यह दिखाने का कि हम कांग्रेस के लिए क्या कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि हमें बताना होगा कि हम कांग्रेस के लिए कितने समर्पित हैं, इसके सिद्धांतों के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं! यह कांग्रेस की एक नई शुरुआत है।