केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन 3.0 का ऐलान करते हुए देश के सभी 799 जिलों को कोरोना के केसों के हिसाब से रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटने का ऐलान किया था। साथ ही इन सभी जोन्स के लिए 4 मई से अलग-अलग नियमों का सेट जारी किया गया था। हालांकि, दो दिन बाद ही कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से जिलों के वर्गीकरण पर स्थिति साफ करने की मांग की है। इनमें सबसे पहला नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है। केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि पूरे जिले की जगह सिर्फ कंटेनमेंट जोन में आने वाले कुछ इलाकों को ही रेड जोन घोषित करना चाहिए, ताकि दूसरे इलाकों में आर्थिक गतिविधियां शुरू की जा सकें।
दिल्ली की तरह ही कर्नाटक ने भी निर्धारित किए गए जोन्स पर सफाई मांगी है, तो वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में घोषित किए गए रेड जोन्स जिलों की संख्या पर ही सवाल उठा दिए हैं।
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केजरीवाल ने शनिवार को एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, “यह समय अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने का है। अगर किसी जिले में 50 गांव हैं और उनमें से किसी एक मे 40 केस निकलते हैं, तो आखिर क्यों पूरे जिले को ही रेड जोन घोषित किया जा रहा है। सिर्फ उस गांव को ही कंटेनमेंट जोन घोषित कर सील किया जाना चाहिए। बाकी इसकी कीमत क्यों चुकाएं।”
दिल्ली सीएम ने आगे कहा, “मेरा इस बात पे सेंटर से थोड़ा मतभेद है। मुझे उम्मीद थी कि सिर्फ कंटेनमेंट जोन ही रेड जोन की कैटेगरी में आएंगे। मैं इस बारे में केंद्र सरकार से बात करुंगा। मुझे लगता है कि हमें कंटेनमेंट जोन्स को छोड़कर बाकी सभी इलाकों को आर्थिक गतिविधियों के लिए खोलना चाहिए। किसी इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित करने के लिए कुछ कंडीशन लागू करनी चाहिए। हो सके तो बाजारों में ऑड-ईवन सिस्टम लागू करना चाहिए, लेकिन यह अर्थव्यवस्था को शुरू करने का समय है।” गौरतलब है कि दिल्ली में अभी 96 कंटेनमेंट जोन हैं। इनमें कुछ गलियों से लेकर ब्लॉक तक शामिल हैं, जिसके चलते कई लाखों लोगों के मूवमेंट्स इस वक्त रुके हैं।
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दूसरी तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को राज्य में लॉकडाउन से राहत देने के लिए बैठक की। इसके बाद राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि वे केंद्र सरकार से रेड जोन पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहेंगे, क्योंकि राज्य की तरफ से रेड जोन में रखे गए जिले केंद्र की लिस्ट से अलग हैं।
दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल ने भी केंद्र की तरफ से अपने 10 जिलों को रेड जोन घोषित करने पर सवाल उठाए हैं। ममता सरकार का कहना है कि राज्य में असल रेड जोन की संख्या सिर्फ चार होनी चाहिए। पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव विवेक कुमार ने इस सिलसिले में 30 अप्रैल को ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को पत्र लिखकर केंद्र की समीक्षा को गलत बताते हुए कहा था कि रेड जोन के मौजूदा पैरामीटर्स के हिसाब से राज्य में सिर्फ चार जिले- कोलकाता, हावड़ा, नॉर्थ 24 परगना और पुर्बा मिदनापुर ही इस वर्ग में हैं।