गुजरात हाईकोर्ट की वर्किंग अरसे से सुप्रीम कोर्ट के गले से नीचे नहीं उतर रही है। विगत में टॉप कोर्ट के जस्टिसेज हाईकोर्ट के कई फैसलों पर उंगली उठा चुके हैं। लेकिन अभी एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर सुप्रीम कोर्ट भी चकरा गया। फैसला देखकर दोनों जजों ने अपना सिर पकड़ लिया। वो इस कदर भड़के हुए थे कि हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करके अपने आदेश में प्रतिकूल टिप्पणी तक दर्ज कर दी।
मामले के मुताबिक 302 (हत्या) के केस में गुजरात हाईकोर्ट ने एक आरोपी को महज इस बिनाह पर जमानत दे दी क्योंकि उसने पीड़ित पक्ष से समझौता कर लिया था। खास बात है कि गुजरात सरकार ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले पर कुछ भी कहने से गुरेज किया। आरोपी बेल पर छूट गया। लेकिन अभी पिक्चर बाकी थी। मामले से जुड़ा एक शख्स सारे गड़बड़झाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- हाईकोर्ट ने हत्या जैसे मामले में समझौते को क्यों दी मंजूरी
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने मामले की सुनवाई की तो वो हैरत में रह गए। जस्टिसेज का कहना था कि हत्या के केस में राजीनामा कैसे हो सकता है। हो भी गया तो हाईकोर्ट इसे अपनी मंजूरी देकर आरोपी को बेल पर कैसे छोड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी हैरत में था कि गुजरात सरकार ने सारे मामले को चुनौती क्यों नहीं दी। उसने अपना मुंह क्यों सिल लिया। डबल बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच ने जो कुछ आदेश दिया वो किसी भी नजरिया से स्वीकार करने लायक नहीं है।
गुजरात सरकार से भी खफा थी टॉप कोर्ट, पूछा- आपने हाईकोर्ट का फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी
टॉप कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए आरोपी को आदेश दिया कि वो तुरंत जाकर पुलिस के सामने सरेंडर कर दे। कोर्ट ने गुजरात सरकार को तीखी फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी चुप्पी समझ से परे है। आदेश दिया गया कि हमारे फैसले को गृह सचिव गुजरात के पास भिजवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि गुजरात सरकार मामले को लेकर उनके पास क्यों नहीं आई। सरकार ने फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी?
ये मामला 2021 का है। 17 सितंबर को आरोपी ने प्रवीन भाई और याचिकाकर्ता पर हमला किया। इसमें प्रवीन की जान चली गई। आरोपी को अरेस्ट किया गया। वो 23 सितंबर से 18 फरवरी 2021 तक जेल में रहा। आरोपी ने प्रवीनभाई के बेटे से राजीनामा कर लिया। फिर वो बाहर आ गया। लेकिन जब वो बेल पर था तो किसी दूसरे केस में फिर से अरेस्ट हो गया। कोर्ट का कहना था कि आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति का है।