कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन का सबसे अधिक असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा। ये मजदूरों जिन कारखानों, दुकानों, मिलों आदि में काम करते थे वो बिना चेतावनी के बंद कर दिए गए। ऐसे में अचानक बेरोजगार हुए ये मजदूर बड़ी मुश्किलों से किसी तरह अपने घर वापस लौट गए। हालांकि अब कंपनियां इन्हें वापस लाने के लिए ‘लाल कालीन’ तक बिछाने को तैयार हैं। मजदूरों को काम पर वापस लाने के लिए कंपनियां ग्राम प्रधानों और श्रमिकों को उनकी सुरक्षा के लिए आश्वस्त करने से लेकर उनके परिवहन तक की व्यवस्था करने तक को तैयार हैं।
कंपनियों को पिछले तीन महीनों में मजदूरों की खासी कमी का सामना करना पड़ा है। ऐसे ही मुंबई की एक फार्मा कंपनी को मजदूरों की कमी को लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। कंपनी अब मजदूरों के आने जाने के लिए बस की सुविधा तक मुहैया करा रही है। दरअसल फार्मास्यूटिकल्स आवश्यक सेवाओं के दायरे में आता है और कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान दवा निर्माण संयंत्र चालू थे। मजदूरों की कमी के चलते इन कंपनियों को 40-50 फीसदी क्षमता से दवा निर्माण संयंत्र का संचालन करना पड़ा। अब, यह लगभग सामान्य स्तर पर वापस आ गया है और अधिकांश इकाइयों में लगभग 80 फीसदी मजदूर काम पर लौट आए हैं।
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मामले में केईसी अंतर्राष्ट्रीय के एमडी और सीईओ विमल केजरीवाल ने बताया कि उनके कंपनी के करीब दो तिहाई मजदूर वापस आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी की तरफ से मजदूरों के परिवारों और गांव के सरपंचों की मजदूरों की सुरक्षा का वादा किया जा रहा है। विमल ने बताया कि कुछ इलाकों में तो मजदूरों को विमान से भी वापस बुलाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन में वापस अपने घर लौट चुके मजदूरों को वापस बुलाने के लिए कंपनियां बस और ट्रेन के अलावा विमानों से भी उन्हें वापस बुला रही हैं। विभिन्न कंपनियों की तरफ से मजदूरों को रहने-खाने के अलावा तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। बता दें कि मजदूरों को वापस लाने के लिए कंपनियां दोनों जगहों के अधिकारियों अनुमति ले रही हैं।