लॉकडाउन में मकान किराए को लेकर दिए सीएम अरविंद केजरीवाल का बयान दिल्ली सरकार के गले की फांस बन गया है। सोमवार हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाकर सिंगल बेंच के उस आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी जिसमें सरकार से पॉलिसी बनाने के लिए कहा था। कोर्ट का रवैया इतना ज्यादा तल्ख था कि उसने सरकार से उलटा सवाल किया कि क्या आपकी नीयत किराए के 5% भुगतान की भी है? अगर है तो पॉलिसी बनाए, हजारों लोग कतार में दिखेंगे।
सोमवार को दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि केजरीवाल का बयान कोई वायदा नहीं था। सीएम के बयान की रिकॉर्डिंग कोर्ट में सुनाई गई। कोर्ट ने इस पर सवाल किया कि आपकी नीयत किराए के भुगतान की नहीं है पर फिर भी आपने ऐसा वायदा किया। क्या हमें इसे रिकॉर्ड करना चाहिए। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या वह किश्तों में भुगतान करने को तैयार है? मामले की सुनवाई 29 नवंबर को होगी।
सीएम ने बीते साल मार्च में कहा था यदि कोई गरीब किरायेदार कोविड-19 महामारी के दौरान किराया देने में असमर्थ है, तो सरकार इसका भुगतान करेगी। जुलाई में जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने कहा था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम के दिए गए बयान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार को केजरीवाल की घोषणा पर छह सप्ताह के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था। दैनिक वेतन भोगी और श्रमिकों के नाम पर दायर याचिका में केजरीवाल की तरफ से किए गए वायदे को लागू करने की मांग की गई थी।
जस्टिस प्रतिभा सिंह का कहना था कि सीएम जैसे पद पर बैठे व्यक्ति का इस तरह का वक्तव्य एक वायदा है, जिसे कानूनी तौर पर लागू करना चाहिए। इसे बिना किसी उचित कारण के नहीं तोड़ा जाना चाहिए। इस मसले पर कई किराएदार और मकान मालिक हाई कोर्ट आए थे। उनका कहना था कि लोग कोरोना लॉकडाउन के चलते किराया भरने में असमर्थ हैं। लेकिन दिल्ली सरकार अपनी घोषणा का पालन नहीं कर रही। दिल्ली सरकार की दलील थी कि सरकार ने ऐसी कोई नीति नहीं बनाई है। एक बयान को कानूनन लागू करने की बाध्यता नहीं है। सिंगल बेंच ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया और छह सप्ताह के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया।
लेकिन जब कोर्ट की तय समय सीमा के भीतर भी किराए के भुगतान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया तो दिल्ली सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में अदालत की अवमामना याचिका दायर की गई। याचिका में आरोप लगाया कि अदालत ने दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की किराया देने संबंधी घोषणा को लागू करने का निर्देश दिया था पर सरकार इस आदेश का पालन करने में फेल रही है। 10 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान इस आदेश को लागू करने के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया गया था।