दिल्ली के कुछ इलाकों में कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) का पहला परीक्षण किया गया। इस बीच पर्यावरणविदों ने कहा कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश वायु प्रदूषण का स्थायी समाधान नहीं। पर्यावरणविदों ने दिल्ली सरकार के कृत्रिम बारिश परीक्षण को एक अल्पकालिक उपाय बताते हुए कहा है कि इससे प्रदूषण अस्थायी रूप से कम हो सकता है, लेकिन इससे राष्ट्रीय राजधानी की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मूल कारणों का समाधान नहीं होगा।
पर्यावरणविद् विमलेंदु झा ने कहा, ‘‘बारिश से प्रदूषण कम हो सकता है, लेकिन यह केवल अस्थायी समाधान है, जो कुछ दिनों के लिए राहत दे सकता है। ऐसा हर बार नहीं किया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को जमीनी स्तर पर प्रदूषण से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। विमलेंदु झा ने सवाल किया, ‘‘कृत्रिम बारिश से मिट्टी और जल निकायों पर भी असर पड़ता है क्योंकि इसके लिए सल्फर और आयोडाइड जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा, यह तरीका शहर-विशिष्ट है, पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषकों का क्या?’’
प्रदूषण कम करने का एकमात्र तरीका उत्सर्जन कम करना- पर्यावरणविद
लेखिका और स्वच्छ वायु की वकालत करने वाली ज्योति पांडे लवकरे ने कृत्रिम बारिश परीक्षण की तुलना ‘स्मॉग टावर’ जैसे पिछले अल्पकालिक उपायों से की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण कम करने का एकमात्र तरीका उत्सर्जन कम करना है जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं है। बादलों या हवा में रसायन मिलाना दिखावे के लिए है, वास्तविक बदलाव के लिए नहीं।’’ लवकरे ने कहा कि हाल के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानदंडों को वापस लेने जैसे नीतिगत निर्णयों ने प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को कमजोर कर दिया है।
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एक अन्य पर्यावरणविद् कृति गुप्ता ने कहा कि ऐसे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इन्हें अपने आप में समाधान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन उन्हें एकमात्र विकल्प के रूप में प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए। स्थायी सुधार के लिए नागरिक जागरूकता, निजी परिवहन का कम उपयोग, धूल के स्रोतों पर नियंत्रण और बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यक हैं।’’
दिल्ली में कृत्रिम बारिश का परीक्षण
दिल्ली को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने की कोशिश के तहत मंगलवार को कृत्रिम बारिश का परीक्षण किया गया। मंगलवार को दिल्ली के बुराड़ी और करोल बाग सहित कई इलाकों में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण किया गया। अधिकारियों के मुताबिक कृत्रिम बारिश के लिए हवा में रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और यह परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान, विमान से कृत्रिम वर्षा कराने वाले ‘सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों’ की सीमित मात्रा का छिड़काव किया गया था।
पिछले हफ्ते भी बुराड़ी क्षेत्र में कृत्रिम बारिश के रसायन का छिड़काव करने के लिए विमान ने परीक्षण उड़ान भरी थी। इस दौरान सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों का सीमित छिड़काव किया गया था। हालांकि, सफल कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत की तुलना में, वायुमंडलीय नमी का स्तर 20 प्रतिशत से भी कम होने के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका।
