अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में कोर्ट ने आरोपियों से रायशुमारी कर सीबीआई के पॉलीग्राफ टेस्ट वाली अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट करने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने सभी तीन आरोपियों आनंद गिरी, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी की न्यायिक हिरासत को और 12 दिन के बढ़ा दिया है। 

दरअसल सीबीआई ने प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट से महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत के मामले में तीनों आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अपील की। सीबीआई ने अपनी अपील में कहा था कि इस मामले की जांच के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट करना जरूरी है। चूंकि पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए उस व्यक्ति की मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसलिए कोर्ट ने तीनों आरोपियों से पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने को लेकर सहमति मांगी थी। जिससे आरोपियों ने इंकार कर दिया। आरोपियों के इनकार करने के बाद कोर्ट ने भी सीबीआई के द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर दायर की गई अपील को खारिज कर दिया।

इस मामले में मुख्य आरोपी आनंद गिरी के वकील सुधीर श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत करते हुए कहा कि सीबीआई ने हिरासत में लिए गए आरोपी द्वारा तथ्यों को छिपाने का हवाला देते हुए पॉलीग्राफ टेस्ट की अपील की थी। लेकिन यह टेस्ट केवल आरोपी की सहमति से ही किया जा सकता है इसलिए सीजेएम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उनसे बात की और पूछा कि क्या वे इस टेस्ट को कराना चाहते हैं। आरोपियों ने इससे इनकार कर दिया।

वहीं प्रयागराज की सीजेएम कोर्ट ने तीनों आरोपियों के न्यायिक हिरासत को और 12 दिन के लिए बढ़ा दिया है। कोर्ट इस मामले में अब 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। तीनों आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही अदालत में पेश किया जाएगा। तीनों आरोपी वर्तमान में नैनी जेल में बंद हैं। महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत के मामले में दो आरोपी आनंद गिरी और आद्या तिवारी को 22 सितंबर को और तीसरे आरोपी संदीप तिवारी को 23 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।

गौरतलब है कि बीते 20 सितंबर को प्रयागराज स्थित बाघंबरी गद्दी मठ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की लाश पंखे से लटकती हुई मिली थी। उनके पास एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया था। जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरी और पुजारी आद्या तिवारी एवं उनके बेटे संदीप तिवारी पर मानसिक तौर पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए तीनों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार बताया था। शुरुआत में उत्तरप्रदेश पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया।