दिल्ली सरकार के पर कतरने के लिए लाया गया केंद्र का आर्डिनेंस सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को रास नहीं आया है। उनका कहना है कि वो देखेंगे कि क्या संविधान में इस तरह से परिवर्तन करके कोई आर्डिनेंस लाया जा सकता है। सीजेआई ने संकेत दिए कि वो इस मसले को 5 जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेजने के इच्छुक हैं। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को की जाएगी। मामले को आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट लेकर गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला दिया था, जिसमें दिल्ली में तैनात नौकरशाहों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार दिल्ली सरकार के हवाले कर दिया गया था। दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुश हो पाती कि इससे पहले की केंद्र ने एक आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर कर दिया। केंद्र ने सुप्रीम फैसले के खिलाफ 19 मई को अध्यादेश जारी किया था। दिल्ली सरकार को केंद्र का ये फैसला नागवार गुजरा। लिहाजा इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। आप चाहती थी कि इस आर्डिनेंस पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे। लेकिन टॉप कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। आज इस मसले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की थी।
सीजेआई ने पूछा- क्या इस तरह से बदल सकते हैं संविधान
मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई केंद्र के फैसले से खासे नाराज दिखे। उनका कहना था कि पहली बार आर्टिकल 239AA के क्लाज 7 के तहत केंद्र ने अधिकारों का इस्तेमाल किया है। उनका मकसद ब्यूरोक्रेट्स के तबादलों को दिल्ली सरकार के अधिकार से बाहर ले जाना है। हम देखेंगे कि ये ठीक भी है या नहीं। केंद्र के इस फैसले से संविधान में बदलाव हुआ है। हम संवैधानिक बेंच के जरिये देखेंगे कि ये फैसला ठीक है या गलत। क्या आप इस तरह से संविधान को बदल सकते हैं?
दिल्ली सरकार मामले को लेकर गई है सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। जबकि केंद्र की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता और उफराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से हरीश सल्वे पेश हुए। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने आप की याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ केंद्र को नोटिस जारी किया था। दिल्ली सरकार का कहना है कि अध्यादेश के जरिये केंद्र तबादलों और नियुक्ति का अधिकार उनके हाथ से लेकर उप राज्यपाल को देने की इच्छुक है।
मेहता बोले- हम मानसून सत्र के दौरान इस मसले पर पेश करने जा रहे बिल
एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की तरफ से पैरवी कर रहे तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार इस आर्डिनेंस को लेकर एक बिल लोकसभा में पेश करने की तैयारी में है। ये मानसून सत्र के दौरान लाया जा सकता है। उनका कहना था कि सुनवाई को 20 जुलाई तक स्थगित रखा जाए। मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। मेहता का कहना था कि आर्डिनेंस को एक अलग अंदाज में पेश किया जा सकता है।
