China Doklam Village News: विस्तारवादी नीति के तहत पड़ोसियों की जमीन पर कब्जा करके उस पर दावा करना चीन की पुरानी आदत रही है। लद्दाख में लगभग 5 साल तक टकराव में विफल होने के बाद अब एक बार फिर चीन अब फिर पुराना रवैया अपनाने की कोशिश कर रहा है। चीन एक तरफ जहां भारत से सीमा विवाद (Indo-China Border Dispute) को सुलझाने की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर वह डोकलाम के आस-पास के गांवों को बसा रहा है। उसकी ये सारी चालबाजियां सैटेलाइट तस्वीरों से सामने आने लगी हैं।

पड़ोसी मुल्क चीन पिछले 8 साल से भूटान के पारंपरिक क्षेत्र में करीब 22 गांव बसा चुका है। इतना ही नहीं, ड्रैगन ने 2020 के बाद से डोकलाम नामक पठार क्षेत्र के पास करीब 8 गांवों का निर्माण कर चुका है। चीन का ये कदम जितना खतरनाक भूटान के लिए है, ठीक उतना ही नकारात्मक भारत के लिहाज से भी है।

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सैटेलाइट फोटोज से हुआ खुलासा

दरअसल, चीन की चालबाजी का खुलासा सैटेलाइट फोटोज से हुआ है। डोकलाम के नज़दीक भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित 8 गांव रणनीतिक रूप से एक घाटी या रिज पर स्थित हैं, यहां से चीन के दावे वाली घाटी दिखाई देती है, और कई चीनी सैन्य चौकियों या ठिकानों के नज़दीक हैं।

बता दें कि पर्यवेक्षकों और शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए 22 गांवों में से सबसे बड़ा गांव, जिवु है। ये पारंपरिक भूटानी चरागाह भूमि पर बना है जिसे त्सेथांगखा के नाम से भी जाना जाता है, और यह पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है।

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चिकन नेक क्यों है सबसे ज्यादा अहम

इन गांवों की अवस्थिति ने एक बार फिर दिल्ली में बैठी सत्ता को चिंतित कर दिया है। इसकी वजह यह भी है कि इस रणनीतिक क्षेत्र में चीनी स्थिति मजबूत होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर या तथाकथित “चिकन नेक” की भेद्यता बढ़ सकती है, ये भारत की मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाला एक संकीर्ण भूभाग है।

बता दें कि डोकलाम 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले टकराव की वजह बन चुका है, जब नई दिल्ली ने सड़क और अन्य सुविधाओं के निर्माण को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था, जिससे चीन को पठार के सबसे दक्षिणी हिस्से तक पहुंच मिल जाती। हालांकि गतिरोध के अंत में दोनों पक्षों की सेनाएं पीछे हट गई थीं। वहीं अब एक बार फिर सामने आई सैटेलाइट इमेज ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।