Jharkhand Politics: झारखंड में सियासी उठापटक के बीच राजभवन शुक्रवार (26 अगस्त) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर फैसला सुनाएगा। ऐसे में अगर सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई तो उन्हें मुख्यमंत्री के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना पड़ सकता है। चुनाव आयोग ने विधायक हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को खत्म करने के लिए राज्यपाल से अनुशंसा की है। राज्यपाल के फैसले से 29 दिसंबर 2019 को झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो ये कोई पहला मामला नहीं होगा जब भ्रष्टाचार के मामले में किसी मुख्यमंत्री ने अपने कुर्सी गंवाई हो।
राज्यपाल ने अगर हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहरा दिया तो वो भी देश उन भ्रष्टाचारी मुख्मंत्रियों की जमात में शामिल हो जाएंगे, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में अपनी कुर्सी गवांनी पड़ी थी। इस लिस्ट में बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम शीर्ष पर आता है। वहीं उनके बाद झारखंड के एक मुख्यमंत्री मधुसिंह कोड़ा का नाम भी आता है हालांकि वो गिरफ्तार होने से पहले मुख्यमंत्री का पद छोड़ चुके थे। इससे अलावा बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा भी इस लिस्ट में अपनी जगह बनाए हुए हैं। दक्षिण भारत की एक और नेता जिन्हें जनता अम्मा ने नाम से पुकारती थी वो भी इस लिस्ट में शामिल हैं। आइए आपको विस्तार पूर्वक बताते हैं इन मुख्यमंत्रियों कब और क्या घोटाले किए जिसकी वजह से इन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव
भारतीय राजनीति के इतिहास में लालू प्रसाद यादव ऐसे पहले मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के चलते मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। साल 1997 तब बिहार विभाजिद नहीं हुआ था (बिहार-झारखंड एक ही राज्य थे) सीबीआई ने लालू यादव को चारा घोटाले में आरोपी बनाया था। जब ये तय हो गया कि लालू यादव गिरफ्तार किए जाएंगे तब उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। ये 1996 का मामला था जब चाईबासा ट्रेजरी की छापेमारी की गई तो इसमें साल 1990 से लेकर 1995 तक पशुपालन विभाग के पशुओं के चारे के लिए फर्जी कंपनियों को भुगतान किया गया था।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
बीएस येदियुरप्पा ये वो नाम है जिसने दक्षिण भारत के कर्नाटक में अपने दम पर कमल खिला दिया था। नवंबर 2007 में जेडीएस के समर्थन से येदियुरप्पा ने पहली बार कर्नाटक में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि ये सरकार महज 10 दिनों में ही गिर गई और साल 2008 में फिर से चुनाव करवाए गए और इस बार येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने अकेल दम पर सरकार बनाई। जो पांच साल तक चली हालांकि येदियुरप्पा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। साल 2011 में माइनिंग के एक भ्रष्टाचार के मामले में येदियुरप्पा को लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ा जिसमें उन्हें गिरफ्तारी देनी पड़ी। इसके बाद सदानंद गौड़ सीएम की गद्दी पर बैठे लेकिन वो भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे इसके बाद इसी सरकार में जगदीश शेट्टार भी सीएम की गद्दी पर बैठे और 10 महीने तक मुख्यमंत्री बने रहे।
झारखंड के मुख्यमंत्री मधु सिंह कोड़ा
साल 2006 में एक 35 वर्षीय निर्दलीय विधायक सियासी गणित सेट कर झारखंड का मुख्यमंत्री बन जाता है। भारतीय राजनीति के इतिहास में ये पहला मौका था जब कोई निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन गया था। मधु कोड़ा मुख्यमंत्री के पद पर 709 दिनों तक रहे। अगस्त 2008 में शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मधु सिंह कोड़ा से समर्थन वापस ले लिया और उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 30 नवंबर 2009 को प्रवर्तन निदेशालय ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद वो लगभग 3 सालों तक जेल में रहे।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता
दक्षिण भारत की ही एक और मुख्यमंत्री को गद्दी पर रहते भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर जेल जाना पड़ा। मामला सितंबर 2014 का है जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया था। जयललिता को अदालत ने दोषी पाने के बाद 100 करोड़ रुपयों का जुर्माना लगया था और साथ उन्हें चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी।
22 साल के झारखंड में 11 सीएम, 10 नहीं पूरा कर पाए कार्यकाल
झारखंड के 22 सालों के इतिहास में अब तक कुल 11 मुख्यमंत्री बने जिनमें से सिर्फ बीजेपी के रघुवर दास ने अपना कार्यकाल (28 दिसंबर 2014 – 28 दिसंबर 2019) पूरा किया। इसके बाद साल 2019 में सत्ता में आई झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी कार्यकाल लग रहा था कि 5 साल पूरा हो जाएगा लेकिन सियासी घटनाक्रम कुछ ऐसे बन गए हैं कि लगता है कि झारखंड को एक और नए मुख्यमंत्री का चेहरा मिलेगा।
15 नवम्बर 2000 18 मार्च 2003 बाबूलाल मरांडी भाजपा
18 मार्च 2003 2 मार्च 2005 अर्जुन मुंडा भाजपा
2 मार्च 2005 12 मार्च 2005 शिबू सोरेन झामुमो
12 मार्च 2005 18 सितंबर 2006 अर्जुन मुंडा भाजपा
18 सितंबर 2006 28 अगस्त 2008 मधु कोड़ा निर्दलीय
28 अगस्त 2008 18 जनवरी 2009 शिबू सोरेन झामुमो
19 जनवरी 2009 29 दिसम्बर 2009 राष्ट्रपति शासन
30 दिसम्बर 2009 31 मई 2010 शिबू सोरेन झामुमो
1 जून 2010 10 सितम्बर 2010 राष्ट्रपति शासन
11 सितम्बर 2010 18 जनवरी 2013 अर्जुन मुंडा भाजपा
18 जनवरी 2013 13 जुलाई 2013 राष्ट्रपति शासन
13 जुलाई 2013 23 दिसम्बर 2014 हेमंत सोरेन[1] झामुमो[2]
28 दिसम्बर 2014 28 दिसम्बर 2019 रघुवर दास[3] भाजपा
29 दिसम्बर 2019 वर्तमान हेमंत सोरेन झामुमो