दिल्ली अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने हैं। दिल्ली के अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का साथ मिल गया है। अब केंद्र सरकार मानसून सत्र में ही इस अध्यादेश को पारित कराने के लिए संसद में ला सकती है। लोकसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि बीजू जनता दल और वाई एस आर कांग्रेस पार्टी के रुख पर भी निर्भर करेगा। आम आदमी पार्टी ने कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर अध्यादेश पर समर्थन मांगा था। अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि उसे कई दलों का साथ मिला है।

राज्यसभा में बदलेगा समीकरण

राज्यसभा की 11 सीटों पर 24 जुलाई को वोटिंग होनी है। बीजेपी की सीटें बढ़कर 92 से 93 हो जाएंगी, जबकि कांग्रेस की 31 से घट कर 30 रह जाएंगी। बीजेपी और सहयोगी दलों की सीटें मिलाकर 105 रहेंगी। राज्य सभा की कुल 245 सीटों में 24 जुलाई के बाद 7 सीटें खाली रहेंगी। जम्मू-कश्मीर की चार, मनोनीत की दो और उत्तर प्रदेश से एक सीट खाली हो जाएगी। यानी 24 जुलाई के बाद सदन की संख्या 238 और बहुमत का आंकड़ा 123 रहेगा। अगर बाद दिल्ली की अध्यादेश की करें तो बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना भी तय है। इन्हें भी अगर जोड़ लिया जाएगा तो सरकार के पक्ष में 112 सांसद हैं।

अगर ऐसा हुआ तो पास होगा अध्यादेश

दिल्ली अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार को बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों से भी समर्थन की उम्मीद है। बीजेडी और वायएसआर कांग्रेस पर सभी कि निगाहें है। इनके वोट काफी महत्वपूर्ण होंगे। दोनों पार्टियों के 9-9 सदस्य हैं। बीजेडी का कहना है कि है वह चर्चा के दौरान ही फैसला करेगी। दूसरी तरफ वायएसआर कांग्रेस ने भी स्पष्ट नहीं किया है। पिछली बार इन दोनों ही पार्टियों ने सदन से वॉकआउट किया था जिससे केंद्र सरकार की मुश्किलें कम हो गई। इतना ही नहीं दो मनोनीत सांसदों के पद भी खाली हैं। अगर इन पर भी सरकार ने दो सदस्य मनोनीत किए तो सरकार के पक्ष में नंबर 114 तक पहुंच जाएगा।